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पश्चिम बंगाल के 3254 स्कूलों में छात्र ही नहीं, तो किसे पढ़ा रहे 14627 शिक्षक?

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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE Plus) 2023-24 की रिपोर्ट ने देश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 12,954 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है, लेकिन इन स्कूलों में 31,981 शिक्षक नियुक्त हैं। वहीं, दूसरी तरफ देश में लाखों स्कूल ऐसे हैं जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह रिपोर्ट जारी होने के बाद देश में बहस का एक अहम मुद्दा बन गया है।

जानिए पश्चिम बंगाल की बदहाल शिक्षा व्यवस्था

UDISE Plus की रिपोर्ट में देश में शून्य नामांकित वाले सबसे अधिक स्कूल के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है, जहां 3,254 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है। इसके बावजूद इन स्कूलों में 14,627 शिक्षक तैनात हैं। वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो राजस्थान, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश भी इस मामले में बढ़त हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देशभर में करीब 1.10 लाख स्कूल ऐसे भी हैं, जहां छात्रों की संख्या के बावजूद केवल एक शिक्षक मौजूद हैं और स्पष्ट है कि वही एक शिक्षक सभी विषयों को पढ़ाते हैं। इन राज्यों में सबसे अधिक शून्य नामांकित वाले स्कूल है, जहां बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति हो रखी है। वहीं, दूसरी तरफ देश में लाखों स्कूल ऐसे हैं जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।

UDISE Plus Report 2023-24

 

राज्य- शून्य नामांकन स्कूल- नियुक्त शिक्षक- सिंगल शिक्षक स्कूल

  • पश्चिम बंगाल- 3254- 14627- 6366
  • राजस्थान- 2167- 4398- 7688
  • तेलंगाना- 2097- 2000- 5985
  • मध्यप्रदेश- 1211- 1924- 13198
  • कर्नाटक- 1078- 1572- 7821
  • उत्तर प्रदेश- 906- 2895- 8866

स्कूलों के विलय की बन रही योजनाएं

UDISE Plus रिपोर्ट जारी होने के बाद बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने इस विषय पर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम है या शून्य है, उन स्कूलों को आसपास के स्कूलों में विलय करने की योजना बनाई जा रही है। बिना छात्रों वाले स्कूल या कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का डेटा तैयार करके दूसरे स्कूलों के साथ मर्ज किया जायेगा। वहीं, बात करें अगर राजस्थान की तो पिछले साल की रिपोर्ट जारी होने के बाद राजस्थान के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने 190 सरकारी स्कूलों को बंद करा दिया गया है।

बढ़ते ड्रॉपआउट से घटती छात्रों की संख्या

UDISE की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021-22 में जहां प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की संख्या 75299, अपर प्राइमरी में 8735, सेकेंडरी में 3291 और हायर सेकेंडरी में 7419 स्टूडेंट थी। वहीं वर्ष 2023-24 में हायर सेकेंडरी को छोड़कर सभी में छात्रों की संख्या में कमी आई है। रिपोर्ट बताती है कि बंगाल में सेकेंडरी में 17.83 प्रतिशत की कमी आई है।

इस पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि छात्रों की घटती संख्या और स्कूल ड्रॉपआउट की समस्या कोरोना महामारी के बाद, स्कूल छोड़ने की दर में वृद्धि हुई है। कई बच्चे आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कोई काम करने लगते हैं।

मिड डे मील के जरिए स्कूल में बच्चों को लाने की कोशिश

शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा में नामांकन बढ़ाने और ड्रॉपआउट रोकने के लिए केंद्र सरकार से 10वीं कक्षा तक मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) योजना को विस्तारित करने का अनुरोध किया गया है। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को स्कूलों से जब अधिक लाभ मिलेगा, तो बच्चों की उपस्थिति बढ़ेगी। समाज में ऐसे भी बच्चे हैं जो दस बजे तक खाना नहीं मिलने से स्कूल नहीं आ पाते हैं। यह योजना छात्रों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को स्कूल से जोड़ने में मददगार साबित हो सकती है।

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