दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लग चुकी है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद लंबे समय तक सीएम चेहरे को लेकर तमाम दावे होते रहे, जिनमें रेखा गुप्ता समेत अन्य नेताओं के नाम सामने आते रहे थे। जानिए रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री की रेस में आगे निकलने की वजहें और नई सरकार की चुनौतियां।
आज 20 फरवरी को रामलीला मैदान में रेखा गु्प्ता अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ शपथ लेंगी। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री, एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज शामिल होंगे। इसके साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि सीएम के साथ अन्य 6 मंत्री भी शपथ लेंगे।
कौन हैं दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
दिल्ली की चौथी और भाजपा की दूसरी सीएम बनने जा रहीं रेखा गुप्ता ने अपना राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू किया था। इस तरह वह छात्र राजनीति में सक्रिय रहने के साथ ही एबीवीपी और आरएसएस से भी जुड़ी रही हैं। रेखा दिल्ली की सीएम बनने से पहले तीन चुनाव हारी थीं। इसमें एक बार मेयर का चुनाव और दो बार विधायकी का चुनाव शामिल है। इस बार शालीमार बाग सीट पर आप की वंदना कुमारी को 29595 वोटों से हराया है।
प्रबल दावेदार प्रवेश वर्मा ने खुद प्रस्ताव रखा
पहली बार विधायक बनी रेखा गुप्ता अब दिल्ली की सीएम होंगी। चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा प्रवेश वर्मा की थी। हालांकि सीएम पद की रेस में करीब एक दर्जन नाम थे, मगर फिर विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार प्रवेश वर्मा ने खुद रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा। और फिर भाजपा प्रदेश कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षकों रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़ की मौजूदगी में रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी।
मुख्यमंत्री की रेस में आगे निकलने की वजहें
1- सीएम का महिला होना सबसे बड़ी वजह रही
रेखा गुप्ता को दिल्ली का सीएम बनाए जाने की कई वजहे हैं। सबसे बड़ी वजह की बात करें तो उनका महिला होना है। चुनाव प्रचार में आप ने महिलाओं को अपने तरफ खींचने का भरपूर प्रयास किया था, जब केजरीवाल ने जेल से बाहर आकर इस्तीफा दिया तो एक महिला को ही सीएम बनाया। सूत्रों के हवाले से पता चला कि आतिशी नेता प्रतिपक्ष हो सकती हैं। इसलिए भाजपा ने एक महिला को सीएम बनाना ज्यादा सही समझा। इस तरह भाजपा ने महिला वोटरों को साधने की भरपूर कोशिश की है।
2- वैश्य समाज को साधने की भरपूर कोशिश रही
माना जाता है कि वैश्य समाज दिल्ली में भाजपा का कट्टर समर्थक रहा है। रेखा गुप्ता भी इसी समुदाय से आती हैं। इस तरह भाजपा ने उन्हें सीएम बनाकर इस वर्ग को साधने की भरपूर कोशिश की है।
3- संघ परिवार से 30 साल पुराना नाता
छात्र राजनीति के समय से ही रेखा गुप्ता संघ परिवार से जुड़ी रही हैं। इस तरह उनका संघ से करीब 30 साल पुराना नाता रहा है। वह लंबे समय तक भाजपा के छात्र संगठन में भी काम कर चुकी हैं। 1996-97 तक दिल्ली में छात्र संघ की अध्यक्ष भी रही हैं। उन्होंने भाजपा दिल्ली में महिला मोर्चा की महासचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य के तौर पर भी काम किया है।
नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां होंगी
शपथ ग्रहण के साथ ही रेखा गुप्ता और भाजपा की नई गठित सरकार के सामने दिल्ली में कई चुनौतियां सामने आने वाली हैं। पांच बड़ी चुनौतियों की बात करें तो इसमें चुनावी वादों को पूरा करना, बिजली और पानी की अबाध आपूर्ति बनाए रखना, आप सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को सही ढंग से चलाए रखना, प्रदूषण की समस्या और राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था को सही बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होंगी।
1- सबसे बड़ी चुनौती होगी चुनावी वादों को पूरा करना
भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान 8 मार्च तक महिलाओं के खाते में 2500 रुपये भेजने का दावा किया था। अभी के लिए सबसे बड़ी चुनौती इतने कम समय में योग्य महिलाओं के खातों में इस राशि को ट्रांसफर करना होगा। इसी तरह अन्य वादे भी थे, जिनमें पैसे देने की गारंटी थी। भाजपा इन वादों को पूरा करते हुए वित्तीय संतुलन कैसे करती है, ये देखने की बात होगी।
2- चुनाव के बाद भी पानी और बिजली रहेगी बड़ी समस्या
चुनाव में यमुना का पानी सबसे चर्चित मुद्दा रहा। नतीजे सामने आने के बाद आप ने भाजपा पर बिजली गुल होने के भी आरोप लगाए। इस तरह निर्बाध बिजली और स्वच्छ पानी की आपूर्ती सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहने वाली है। आप सरकार बीते दो कार्यकाल से यमुना को साफ करने के दावे और वादे करती आई है, इस तरह देखना होगा कि भाजपा कितने समय में ये काम करके दिखाती है।
3- वायु प्रदूषण आगे भी पैदा करेगा समस्याएं
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, जो सर्दियों में अपना रौद्र रूप दिखाती है। सर्दियों में पराली जलाने, वाहनों के निकलते धुएं और बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण के चलते ये समस्या और भी विकराल रूप ले लेती है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि नई गठित सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया करती है।
4- आप से ज्यादा रहेगी कानून और सुरक्षा की चिंता
राजधानी दिल्ली का पुलिस कंट्रोल केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है। कई बार कानून और सुरक्षा के स्तर पर आप सरकार यह कहती पाई जाती थी कि एलजी साहब और केंद्र सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही है। ऐसे में दिल्ली में भाजपा की सरकार आने पर इनके पास कानून और सुरक्षा में चूक होने पर जिम्मेदारी से भागने का मौका नहीं मिलेगा। इसलिए देखना होगा रेखा के हाथों दिल्ली कितनी सुरक्षित होती है।
5- कल्याणकारी योजनाओं को बनाए रखना भी एक चुनौती
दिल्ली में दो बार केजरीवाल की आप सरकार आने की बड़ी वजहों में से एक कल्याणकारी योजनाएं रही हैं। चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाए थे कि ये लोग अगर आ गए तो सारी मुफ्त की स्कीमें बंद कर देंगे। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने खुद गारंटी देते हुए कहा था कि सरकार में आने के बाद पहले से चल रही योजनाएं बंद नहीं होगीं। इसलिए इन योजनाओं को बनाए रखने के लिए भी वित्त की जरूरत होगी। ऐसे में कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय विवेक के बीत संतुलन बनाना भी एक चुनौती होगी।
इस लेख को लिखने में प्रत्युष कुमार सिन्हा का अहम योगदान रहा है। प्रत्युष भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली में हिन्दी पत्रकारिता के छात्र हैं।
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