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Angry Young Men: सलीम-जावेद, हिन्दी सिनेमा में पटकथा लेखन के चमकते सितारे

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सलीम-जावेद केवल नाम नहीं, 70 के दशक के लोगों के लिए जज़्बात हैं। जब कभी भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में पटकथा लेखकों की सूची बनाई जाएगी तो सबसे ऊपर सलीम-जावेद का नाम आएगा। एक वक्त था जब सलीम-जावेद अमिताभ बच्चन (उस समय के सबसे ज्यादा पेड एक्टर) से 1 लाख रुपये ज़्यादा लेते थे। ज़ंजीर, शोले, दीवार, डॉन, मिस्टर इंडिया, दोस्ताना, यादों की बारात जैसी कितनी ही ब्लॉकबस्टर फ़िल्म इस जोड़ी ने लिखी हैं।

हर किसी ने अपने बचपन में इनकी ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों का क्रेज़ देखा ही होगा। या फिर अपने माता पिता से इसके बारे में ज़रूर सुना होगा। कुछ नहीं तो शोले, डॉन और दीवार जैसी फ़िल्मों के नाम तो सुने ही होंगे। 70 के दशक में ये केवल फ़िल्में नहीं थी लोगों की भावनाएँ थीं। लोग पर्दे पर अमिताभ में ख़ुदको देखते थे। आपको बता दें कि इन सब कहानियों के पीछे सलीम-जावेद की जोड़ी थी।

उस समय काफ़ी लोग तो सलीम-जावेद को एक ही शख़्स समझते थे। सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर हिन्दी सिनेमा के वो नाम हैं जिन्होंने हिन्दी सिनेमा में लेखकों को अहम जगह दिलाई।

एंग्री यंग मैन, डॉक्यूमेंट्री का नाम बिल्कुल जचता है। सलीम-जावेद के लिखे ‘विजय’ के किरदार से ही दर्शकों ने एंग्री यंग मैन को जाना। 70 के दशक में इनकी लिखी ऐसी कोई फ़िल्म नहीं थी जो हिट न हो। एक समय तो ये आ गया था कि सलीम-जावेद से फ़िल्म लिखवाने के लिए डायरेक्टर लाखों रुपये देने को तैयार थे। फ़िल्म से सलीम-जावेद का नाम जुड़ गया मतलब फ़िल्म हिट।

डॉक्यूमेंट्री में सलीम-जावेद का संघर्ष, सफलता और उनका अलग होना सब बहुत बेहतरीन तरह से पेश किया है। जब भी सलीम-जावेद की लिखी फ़िल्म का ज़िक्र होता है तो मन मचलने लगता है कि जा कर फिर एक बार वो फ़िल्म देखी जाए। डॉक्यूमेंट्री में इनकी जिन फ़िल्मों की क्लिप्स का इस्तेमाल किया गया है वो बहुत ही सही लगा है।

बैकग्राउंड स्कोर बहुत ही खूबसूरत है। बेशक सलीम-जावेद की बातें और डायलॉग के सामने याद न रहे पर बहुत ही बेहतरीन था। रैप का जिस तरह से इस्तेमाल किया है क़ाबिले-ए तारीफ़ है। कोई बिल्कुल भी अनुमान नहीं लगा सकता कि अब रैप आ जाएगा।

आज की पीढ़ी जो शोले, ज़ंजीर, त्रिशूल जैसी फ़िल्मों को बेकार बोलती है उनके लिए ये डॉक्यूमेंट्री एक करारा जवाब है। फ़िल्म के डायलॉग जो आज तक हर एक इंसान को भलीभांति याद हैं। शोले का “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना”, “कितने आदमी थे?”, “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं” या फिर दीवार का “आज मेरे पास, गाड़ी है, बंगला है, पैसा है, तुम्हारे पास क्या है?… मेरे पास माँ है” ।

इस जोड़ी ने न जाने ऐसे कितने ही ऑल टाइम सुपर हिट डॉयलोग लिखे थे, जो आज भी हर हिन्दी सिनेमा प्रेमी के दिल और ज़ुबान दोनों पर हैं।


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एआई जनित तस्वीर

भारत में जब भी सिनेमा की बात की जाती है तो सबसे ऊपर बॉलीवुड का नाम आता है। बॉलीवुड ने बहुत सी कल्ट-क्लासिक और कॉमर्सियल हिट फ़िल्में दी हैं। 1960 के अंत में पैरलल सिनेमा ने एंट्री की, जिसके आने के बाद सिनेमा जगत में काफ़ी बड़े बदलाव हुए। डायरेक्टर श्याम बेनेगल, सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक आदि दर्शकों की नज़रों में आने लगे। आज हम ऐसी ही पैरलल सिनेमा की बॉलीवुड फ़िल्म की बात करेंगे जिन्हें एक न एक बार आपको ज़रूर देखना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें।

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