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तेज प्रताप ने होली मिलन समारोह में पुलिसकर्मी से जबरन लगवाए ठुमके, कहा- ठुमके लगाओ वरना कर दिए जाओगे सस्पेंड…

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बिहार की राजनीति में अक्सर अपने अजीबोगरीब कारनामों और बयानों के जरिए सुर्खियों में रहने वाले लालू यादव के बड़े बेटे और आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव इस बार होली के मौके पर एक और विवाद में फंस गए हैं। दरअसल, उन्होंने अपने सरकारी आवास पर होली मिलन समारोह का आयोजन किया, जिसमें उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस दौरान तेज प्रताप यादव ने मंच से माइक पर एक पुलिसकर्मी को खुलेआम डांस करने का आदेश दिया, जो उनकी सुरक्षा में तैनात था।

ठुमका लगाओ वरना सस्पेंड कर दिए जाओगे’ – तेज प्रताप

होली मिलन समारोह के दौरान तेज प्रताप ने मंच से पुलिसकर्मी को संबोधित करते हुए कहा, ‘ऐ सिपाही, ऐ दीपक… एक गाना बजाएंगे, उस पर तुमको ठुमका लगाना होगा।” ठीक है, बुरा न मानो होली है… आज ठुमका नहीं लगाओगे तो तुमको सस्पेंड कर दिया जाओगो, बुरा न मानो होली है… ठीक है।

तेज प्रताप यहीं नहीं रुके। उन्होंने खुद गाना गाकर जबरदस्ती पुलिसकर्मी से ठुमके लगवाए। एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी को खुले आम इस तरह मंच पर नाचने पर मजबूर किया और उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। इसे लेकर बिहार पुलिस की कार्यशैली और तेज प्रताप की दबंगई पर सवाल उठने लगे हैं।

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क्या पुलिस तेज प्रताप के बाप की जागीर है?

सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या बिहार पुलिस तेज प्रताप के बाप की जागीर बन गई है? क्या एक नेता को इतना हक है कि वह वर्दीधारी पुलिसकर्मी से जबरन ठुमके लगवाए?

यह घटना बिहार की कानून व्यवस्था और पुलिस की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। एक तरफ बिहार सरकार पुलिस को सशक्त बनाने और उनकी छवि सुधारने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ सत्ता से जुड़े नेता वर्दीधारी जवानों से इस तरह के अभद्र आदेश देते हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं।

बिहार पुलिस का अब तक कोई एक्शन नहीं

सबसे बड़ी बात यह है कि इस पूरे मामले पर बिहार पुलिस प्रशासन अभी तक पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। सवाल यह उठता है कि अगर कोई आम नागरिक किसी पुलिसकर्मी को इस तरह सार्वजनिक रूप से नाचने के लिए मजबूर करता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होती। लेकिन जब आरोपी तेज प्रताप यादव हैं, तो क्या पुलिस लालू यादव के बेटे पर कोई कार्रवाई करेगी या यह मामला यहीं दब जाएगा?

अब देखना यह है कि क्या बिहार पुलिस अपने सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए इस घटना पर कोई ठोस कदम उठाती है या फिर सत्ता के दबाव में चुप्पी साधे रहती है। लेकिन यह घटना साफ दिखाती है कि बिहार में पुलिस नेताओं के इशारों पर नाचने को मजबूर है, कभी राजनीतिक आदेशों पर, तो कभी मंच पर।

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