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Forest Encroachment: झारखंड में 200 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा

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झारखंड में सड़क और जंगल दोनों पर अतिक्रमण की समस्याएं दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी। यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है, रिपोर्ट में बताया है कि भारत के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 13,056 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र अतिक्रमण की चपेट में है। जिसमें झारखंड में लगभग 200.4 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है।

एमपी में सबसे ज्यादा 5,460.9 वर्ग किमी, असम में 3,620.9 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर अवैध कब्जा है। चौंकाने वाली बात ये है कि साल 2011 में पीआईबी के अनुसार मध्यप्रदेश में 80.77 वर्ग किमी कब्जा था, जो अब 6660 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 5460 वर्ग किमी तक हो गया है। वहीं, बात करें अगर झारखंड की तो 200.4 वर्ग किमी वन भूमि पर अतिक्रमण हो गया है। इसे लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही सुनवाई भी की थी और कोर्ट ने फैसले पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना और पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने यह स्वीकार किया कि चास, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, जमशेदपुर और रांची के वन क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों ने तेजी से अपना पैर पंसारा है और वन क्षेत्र पर कब्जा किया।

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एनजीटी ने मांगा था पूरा विवरण

पिछले साल समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत में 7,506.43 वर्ग किमी वन क्षेत्र अतिक्रमण के अधीन है, जो दिल्ली के आकार से पांच गुना बड़ा है। इस पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए अप्रैल 2024 में पर्यावरण मंत्रालय को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अतिक्रमण का विस्तृत डेटा संकलित करने का निर्देश दिया था। इसके बाद मंत्रालय ने मार्च 2024 तक के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर एनजीटी को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कुल 13,056 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर अतिक्रमण की पुष्टि हुई।

10 राज्यों ने नहीं दिया डेटा

कई राज्यों ने अपने वन क्षेत्र अतिक्रमण का डेटा उपलब्ध नहीं कराया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लाख ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी है। पर्यावरण मंत्रालय ने इन राज्यों को 1 मई, 17 मई और 28 मई 2024 को पत्र भेजकर हेटा उपलब्ध कराने को कहा था। इसके बावजूद कई राज्यों ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया।

कहां कितना अतिक्रमण 

रिपोर्ट के अनुसार, जिन 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने डेटा उपलब्ध कराया उनमें सबसे अधिक अतिक्रमण मध्य प्रदेश और असम में है। सरकार की रिपोर्ट में कुल अतिक्रमण 13,056 वर्ग किलोमीटर की बात कही गई है।

आंकड़ों से समझिए :

  • सबसे ज्यादा वृद्धि : मध्य प्रदेश (6660.21%), उत्तर प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, और अंडमान-निकोबार (2011 में डेटा नहीं था इसलिए 100%+ मंत्रालय ने माना है।
  • सबसे ज्यादा गिरावट: आंधप्रदेश प्रदेश (-94.80%), त्रिपुरा (-91.12%), केरल (-88. 27%), और छत्तीसगढ़ (-8 5.75%)
  • असम और मिजोरम में भी वन अतिक्रमण बढ़ा है, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गिरावट आई है।
कितने एरिया पर अतिक्रमण हटा

पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, अब तक देश में 409.77 वर्ग किमी वन क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह एरिया कुल 13,056 वर्ग किमी से हटाया गया है या नहीं।

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