झारखंड के लोग सामाजिक गतिविधियों, अध्ययन या कौशल विकास की तुलना में अपने दैनिक समय का अधिकांश हिस्सा रोज़गार से जुड़े कार्यों में लगाते हैं। केंद्र सरकार की हालिया रिपोर्ट ‘भारत में समय का उपयोग: 2024’ में ये बात सामने निकलकर आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में एक व्यक्ति औसतन प्रतिदिन 426 मिनट रोजगार संबंधी कार्यों में व्यतीत करता है, जो कि राष्ट्रीय औसत 440 से थोड़ा कम है। रिपोर्ट में घरेलू कार्य, परिवार की देखभाल और समाजसेवा जैसे अवैतनिक कार्यों में पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी में भारी असमानता की बात सामने आई है। महिलाएं इन कार्यों में अधिक समय देती हैं, जबकि पुरुषों की भागीदारी अपेक्षाकृत कम है।
किस काम में कितना समय देते हैं (मिनट में)
सर्वेक्षण में शामिल गतिविधियां- झारखंड – देश
- रोजगार से जुड़ी गतिविधियां- 426 – 440
- अवैतनिक घरेलू कामकाज- 246 -238
- अवैतनिक घर के सदस्यों की देखभाल- 120 -116
- कौशल विकास और सीखने- 412 -414
- धर्म व सामाजिक कार्य- 159 -171
- सांस्कृतिक व खेलकूद- 136 -138
- स्वयं के देखभाल और रखरखाव- 691 -740
यह भी पढ़ें: Forest Encroachment: झारखंड में 200 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा
क्या है समय का उपयोग सर्वेक्षण, इसकी जरूरत क्यों ?
समय का उपयोग सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक अध्ययन है, जिसके माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि लोग अपने दिन के 24 घंटे कैसे बिताते हैं। इसमें कार्य, अवकाश, शिक्षा, घरेलू काम, देखभाल, यात्रा, विश्राम आदि सभी गतिविधियों का विवरण लिया जाता है। यह समझने में मदद करता है कि विभिन्न आयु, लिंग, क्षेत्र और वर्ग के लोग अपना समय किन गतिविधियों में लगाते हैं।
यह नीति निर्माण, विशेषकर महिलाओं के काम के मूल्यांकन और सामाजिक असमानताओं को समझने के लिए बेहद जरूरी है। यह अनपेड वर्क (जैसे घरेलू काम) को दर्ज करता है, जो पारंपरिक सर्वेक्षणों में नजरअंदाज हो जाता है। इससे रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, लैंगिक समानता और शिक्षा नीति बेहतर बनाई जा सकती है।
कब से किया जा रहा है यह सर्वेक्षण?
भारत में पहला समय उपयोग सर्वेक्षण वर्ष 1998-99 में भारतीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया था। इस पायलट सर्वेक्षण को पाँच राज्यों – हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में किया गया था। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर यह सर्वेक्षण 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा दोबारा शुरू किया गया, जो अब नीति निर्माण का एक अहम हिस्सा बन चुका है। अब इसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल कर लिया गया है।
यह भी पढ़ें: अधर में लटकीं नियुक्तियां: अभ्यर्थियों की मांग; JPSC चेयरमैन नियुक्त करो या फांसी दो