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वक्फ कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शन क्यों, क्या राज्य इसे लागू करने से रोक सकते हैं?

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वक्फ संशोधन बिल, कानून बनकर अब देश में लागू हो चुका है। 8 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने औपचारिक अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया है। लेकिन, इस कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में अभी भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं। ये प्रदर्शन पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम समेत कई राज्यों में हिंसक भी हो गए हैं। वहीं, सरकार का तर्क है कि यह ये संशोधन वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएगा, लेकिन मुस्लिम समुदाय के कई संगठनों और विपक्षी दलों का मानना है कि यह कानून उनके संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान किया है कि इस कानून का विरोध चरणबद्ध तरीके से आगे बढेगा। पहले चरण में 7 जुलाई तक 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे जाएंगे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शनिवार को घोषणा करते हुए कहा कि वे इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगीं। इसी प्रकार की घोषणा बिहार में राजद नेता तेजश्वी यादव ने की। तेजस्वी ने कहा कि राजद की सरकार बनने पर इस बिल को कूड़ेदान में डाल दिया जाएगा। आइये जानते हैं क्या है वक्फ और क्यों हो रहा है इस कानून का विरोध?

वक्फ क्या है?

वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है- “समर्पण”। इस्लाम में वक्फ का मतलब, धार्मिक या जन कल्याण के उद्देश्य से संपत्ति का समर्पण करने से है। यानी एक ऐसी संपत्ति जिसे न तो बेचा जा सकता है और न ही बदला जा सकता है। इसलिए इस तरह की संपत्ति का उपयोग समाज के हित के लिए किया जाना चाहिए।

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वक्फ को मिला कानूनी रूप

गुलामी के दौर में ये व्यवस्था अनौपचारिक थी, लेकिन फिर साल 1913 में ब्रिटिश सरकार ने वक्फ की व्यवस्था को पहली बार औपचारिक रूप दिया। ब्रितानी सरकार ने 1923 में इसे वक्फ अधिनियम के तहत कानूनी मान्यता दी। इसके बाद देश आजाद हुआ और पहली बार 1954 में वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई। यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए बनाया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा करना और उनका उपयोग धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए सुनिश्चित करना था। 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम बना, जिसने वक्फ बोर्ड को अधिक शक्तियां दीं।

वक्फ कानून में समय-समय पर हुए बदलाव

हालांकि समय के साथ वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं की शिकायतें बढ़ीं। इसके बाद 2013 में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर मुस्लिम दान के नाम पर असीमित अधिकार दिए गए। वक्फ बोर्ड में बदलाव के लिए वर्तमान सरकार ने 8 अगस्त, 2024 को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुस्लमान वक्फ (निरसन), विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। इसे बाद में जगदम्बिका पाल के अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। 3 अप्रैल, 2025 को लोकसभा में इस बिल को पुनः लाया गया जिसे 288 सांसदों के समर्थन से पास किया गया। वहीं, राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर 8 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कानून को लागू कर दिया।

क्यों हो रहा है कानून का विरोध?

विरोध कर रहे मुस्लिम संगठन और कई विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है। अनुच्छेद 26 के तहत प्रत्येक धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने, संस्थाएं चलाने, संपत्ति अर्जित करने और उसका प्रशासन करने का अधिकार है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि नया कानून वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाता है और केंद्र सरकार को अनुचित अधिकार देता है। हिंसक विरोध प्रदर्शन से जुड़ी तस्वीरें देखिए।

इसके अलावा, इस कानून में वक्फ संपत्तियों के पुनरीक्षण, पुनर्गठन और उनके रिकॉर्ड पर सरकारी नियंत्रण की बात की गई है, जिसे लेकर कई समुदायों में असंतोष है। विरोध करने वाले संगठनों का मानना है कि यह एक तरह से धार्मिक अल्पसंख्यकों के मामलों में हस्तक्षेप है।

किन राज्यों में हो रहा है विरोध प्रदर्शन?

इस कानून के खिलाफ विरोध अब देशभर में फैल चुका है। सबसे गंभीर हालात पश्चिम बंगाल में देखने को मिले हैं, जहां मुर्शिदाबाद जिले में 12 अप्रैल को हुए प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। हालात को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है।

त्रिपुरा के उन्नाकोटी जिले में भी प्रदर्शन हिंसक हो गया, जहां प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया। इस हमले में एसडीपीओ सहित 18 पुलिसकर्मी घायल हुए और पुलिस ने 8 लोगों को गिरफ्तार किया है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शिया समुदाय के लोगों ने इस कानून के खिलाफ मार्च निकाला। इसी तरह, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी फ़ैल गई है। बिल के वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कई संगठनो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया गया है।

क्या राज्य सरकारें इसे लागू करने से रोक सकती हैं?

यह सवाल अब चर्चा के केंद्र में है कि क्या कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा पारित किसी कानून को लागू होने से रोक सकती है? संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 के तहत संसद को संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। वक्फ एक ऐसा विषय है जो समवर्ती सूची में आता है। इसका मतलब है कि इस पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं।

लेकिन, यदि किसी समवर्ती विषय पर केंद्र और राज्य के कानून में टकराव होता है, तो केंद्र का कानून प्रभावी होता है, जब तक कि वह संविधान की मूल भावना के खिलाफ न हो। इस लिहाज से राज्य सरकारें इस कानून को पूरी तरह से अवैध ठहराकर रोक नहीं सकतीं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इसके प्रभावी क्रियान्वयन में अड़चनें जरूर पैदा कर सकती हैं।

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