जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित था। इस बीच केंद्र सरकार ने पूरे देश में जातिगत जनगणना कराए जाने की घोषणा कर दी। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इसे जातिगत उन्माद फैलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाला बताया है।
भारतीय जनता पार्टी इससे पहले खुद जातिगत जनगणना कराए जाने के पक्ष में खुलकर सामने नहीं आई थी। सरकार ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि जातिगत जनगणना प्रशासनिक रुप से कठिन और अव्यावहारिक है। हालांकि भाजपा का स्थानीय नेतृत्व जातिगत जनगणना के पक्ष में बयान देता रहा था।
किशोर ने बताया, जातिगत उन्माद का विषय
प्रशांत किशोर ने एएनआई से इंटरव्यू के दौरान हुई बातचीत में कहा कि जातिगत जनगणना आप इसलिए नहीं कराना चाह रहे हैं कि इससे उस समाज के लोगों की मदद करना चाहते हैं। आप गणना इसलिए कराना चाह रहे हैं ताकि आप जातिगत उन्माद फैलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सकें। किशोर ने इसे नेताओं के लिए राजनीतिक वाद-विवाद का विषय बताया है। इससे समाज का सुधार हो और जनगणना पर आधारित कार्यक्रम बने ये सेकेंड्री मुद्दा लगता है। किशोर ने इसके पीछे की वजह भी गिनाई।
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किशोर का भाजपा से सवाल
भाजपा इसे (जातिगत जनगणना) देश में करने जा रही है। वो दो साल से बिहार में सरकार में हैं। यहां दो साल पहले जातिगत जनगणना कराई गई है। अब भाजपा को बताना चाहिए कि जो जातिगत जनगणना बिहार में हुई और उसमें क्या निष्कर्ष निकलकर आए हैं और उन पर सरकार ने क्या किया है।
किशोर ने कहा कि नवंबर 2023 में बिहार की सरकार के सीएम ने घोषणा की थी कि बिहार की जातिगत जनगणना में जो 94 लाख गरीब परिवार पाए गए हैं उन्हें 2-2 लाख रुपये दिए जाएंगे। किशोर ने कहा कि अभी तक तो वो पैसे नहीं दिए गए हैं।
बिहार में दलित समुदाय के 5 प्रतिशत से भी कम बच्चे ही 12वीं तक पास कर पाते हैं। हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक हुए दो साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के बच्चों की शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए कोई ठोस या नई योजना लागू नहीं की है। केवल किताबें खरीदने से ज्ञान प्राप्त नहीं होता, उन्हें पढ़ना और समझना भी जरूरी है।
जातीय जनगणना को लेकर समर्थन और विरोध कर रहे राजनीतिक दलों की स्थिति यह दर्शाती है कि यह जनगणना समाजिक सुधार का साधन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक बहस का विषय बनकर रह गई है।
कांग्रेस पर भी हमलावर हुए किशोर
इसी तरह कांग्रेस वाले हैं। कांग्रेस की सरकार हिमाचल में है, कर्नाटक में है, तेलंगाना में है। यहां तक की जब बिहार में जातिगत जनगणना हुई तो कांग्रेस वाले सरकार में थे। तो राहुल गांधी को किसने रोका है कि जनगणना में जो जानकारी आई है, उसके आधार पर योजना बना दो।
किशोर ने सवाल करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति और मुसलमानों की जनगणना देश में 75 सालों से हो रही है। गणना हुई तो क्या आपने उसके आधार पर उनकी स्थिति सुधारने के लिए कोई प्रयास किया। अगर किया है तो कोई सुधार तो दिख नहीं रहा है।
जातिगत जनगणना पर किशोर की राय
जातिगत जनगणना पर प्रशांत किशोर का कहना है कि जातिगत जनगणना या सर्वे होना चाहिए। किसी भी प्रयास से समाज के अलग-अलग वर्गों की सही जानकारी सरकार और समाज तक पहुंचे, इसमे कोई बुराई नहीं है। लेकिन, दिक्कत इससे नहीं है कि आप गणना इसलिए नहीं करा रहे हैं कि आप उन समाजों की मदद कराना चाहते हैं। आप गणना इसलिए कराना चाहते हैं ताकि जातिगत उन्माद फैलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सके।
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