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नेपाल में सोशल मीडिया बैन से Gen Z का प्रदर्शन, संसद में घुसी भीड़; गोलीबारी में अब तक 17 की मौत

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नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोशल मीडिया बैन के बाद से बवाल मचा हुआ है। काठमांडू की सड़कों पर सोमवार को हजारों की संख्या में युवा और‌ छात्रों ने प्रदर्शन किया। बाद में जब प्रदर्शनकारी संसद भवन की ओर बढ़ने लगे तो युवाओं और पुलिस के बीच झड़प हुई जिसमें कम-से-कम 17 लोगों की मौत हुई है‌।

दरअसल, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद नेपाल में कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, व्हाट्सऐप और यूट्यूब पर रोक लगा दी गई।

4 सितंबर को ओली सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर बैन लगाए जाने के बाद युवाओं ने सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी। छात्र, युवा पेशेवर और नई पीढ़ी के लोग हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर आए। इस आंदोलन को “जेन जी रिवॉल्यूशन” कहा जा रहा है।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन से Gen Z का प्रदर्शन

 

गोलीबारी में 17 लोगों की मौत, 200 से अधिक  घायल 

इस झड़प में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को संसद की ओर बढ़ने से रोकने के लिए उन पर आंसू गैस और वाटर कैनन का उपयोग किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा थमा नहीं। बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की जिसमें 17 लोगों की मौत और करीब 200 से अधिक लोग घायल‌ हुए हैं।

यह आंदोलन सोशल मीडिया बैन के बाद जरूर शुरू हुआ है लेकिन मुद्दा सिर्फ सोशल मीडिया तक ही नहीं बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और भ्रष्टाचार के खिलाफ भी एक बड़ा आंदोलन है।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद राजधानी में रात दस बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए नेपाल सरकार ने इमरजेंसी सिक्योरिटी मीटिंग बुलाई है।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन से Gen Z का प्रदर्शन

 

सरकार ने बैन क्यों लगाया?

4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब जैसे 26 सोशल मीडिया अकाउंट पर बैन लगाने के बाद ओली सरकार का कहा कि प्रतिबंधित सोशल साइट्स ने तय समय सीमा के भीतर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, जिसके बाद उन पर एक्शन लिया गया है। साथ ही सरकार का कहना है कि फर्जी खबरें, अफवाहें, भड़काऊ सामग्री और हिंसा फैलाने वाले संदेशों को रोकना आवश्यक है, क्योंकि इसके रजिस्टर्ड नहीं होने से देश में कोई भी शिकायत का निवारण समय से नहीं हो पाता है।

लेकिन असल वजह कहीं अधिक गहरी मानी जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि सत्ता में बैठे कुछ नेताओं और अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर नियंत्रण स्थापित कर राजनीतिक विरोध को दबाने की कोशिश की है। भ्रष्टाचार और धनबल के आरोप भी लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग जनता की आवाज उठाने के लिए हो रहा था, जिसे रोकने के लिए सरकार ने नियमों का हवाला देकर बैन लगाया। इससे राजनीतिक असहमति को कमज़ोर करना और सूचना पर कब्जा जमाना आसान हो जाएगा।

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नेपाल में सोशल मीडिया बैन से Gen Z का प्रदर्शन

 

सोशल मीडिया बैन से क्या नुकसान हुआ?

सोशल मीडिया पर रोक का असर सबसे ज्यादा युवाओं पर पड़ा। यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि शिक्षा, रोजगार, संवाद का भी महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है।

  • 1. शिक्षा पर असर: ऑनलाइन क्लास और वेबिनार बंद हो गए। ग्रामीण और छोटे शहरों में पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई। छात्र आवश्यक अध्ययन सामग्री और नोट्स से वंचित हो गए।
  • 2. रोजगार और व्यापार पर असर: फ्रीलांस काम, डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन स्टार्टअप्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बंद हो गए। कई युवाओं की आय का स्रोत खत्म हो गया। पर्यटन क्षेत्र, जो नेपाल की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, भी प्रभावित हुआ।
  • 3. मानसिक स्वास्थ्य पर असर: सोशल मीडिया दोस्तों और परिवार से जुड़ने का माध्यम है। इसे बंद करने से लोगों में अकेलापन, तनाव और चिंता बढ़ गई। युवाओं की सामाजिक पहचान और आत्मविश्वास पर भी असर पड़ा।
  • 4. लोकतांत्रिक अधिकारों पर संकट: पत्रकारों, छात्र नेताओं और एक्टिविस्ट्स की आवाज दब गई। लोग सूचना साझा नहीं कर पा रहे हैं। समाज में पारदर्शिता और जवाबदेही घट रही है।
  • 5. भ्रष्टाचार के आरोप: प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने नियमों का बहाना बनाकर भ्रष्टाचार छुपाने और जनता की आवाज रोकने की साजिश की है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर रोक से पारदर्शिता खत्म हो सकती है और सत्ता पक्ष की मनमानी बढ़ सकती है।

यह आंदोलन नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने एक गंभीर चेतावनी बनकर उभरा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने केवल संवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट नहीं की, बल्कि शिक्षा, रोज़गार, मानसिक स्वास्थ्य और पारदर्शिता जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रभावित किया है।

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