हाल ही में एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। 2023 के आँकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है। यूपी का तीन सालों से लगातार पहले स्थान पर आना योगी सरकार के वादों पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
हर साल बढ़ रही मामलों की संख्या
राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि उत्तरप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहें हैं। यूपी में साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ 56083 मामले सामने आए थे। साल 2022 में 65743 मामले और साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 66381 हो गई।
साल 2021 की तुलना में 2023 में लगभग 18 प्रतिश्त की वृद्दि दर्ज हुई। यूपी में जनसंख्या के अनुपात में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए गए। अपराध दर 58.6 प्रतिश्त प्रति लाख जनसंख्या पर दर्ज हुई। जो कि राष्ट्रीय औसत 66.2% से कुछ कम है। चार्टशीटिंग दर 77.1 % है, जो राष्ट्रीय औसत 77.6% के लगभग बराबर है।
योगी सरकार ने महिला सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। लेकिन यूपी का शीर्ष राज्यों में शामिल होना योगी सरकार के दावों पर सवाल उठाता है।
अन्य राज्यों से ज्यादा मामले
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में उत्तरप्रदेश सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में आगे हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में 47101 मामले, राजस्थान में 45450 मामले, पश्चिम बंगाल में 34691 मामले और मध्यप्रदेश में 32342 मामले दर्ज हुए । ये यूपी के बाद क्रम में दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवे स्थान पर हैं। केन्द्रशासित प्रदेशों पर गौर करें तो महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में दिल्ली सबसे आगे है। हालांकि आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में यह संख्या पिछले दो सालों की तुलना में कुछ कम हुई है। अपराध दर के मामले में असम, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की हालत अधिक चिंताजनक है।
महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के मामलों में उत्तरप्रदेश सबसे आगे
NCRB की इस रिपोर्ट ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खडे़ कर दिए हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में उत्तरप्रदेश देशभर में लगभग सभी तरह के अपराधों में सबसे आगे है। दहेज के लिए हत्या और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में यूपी शीर्ष पर है। महिलाओं और लड़कियों के अपहरण और तस्करी के कुल 36668 मामले यूपी में दर्ज हुए, जो पूरे भारत में सबसे अधिक है। यौन अपराध और बलात्कार के मामलों में भी यूपी का स्थान ऊंचा है, मध्यप्रदेश और राजस्थान का स्तर भी लगभग समान है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि यूपी सरकार की तमाम महिला सुरक्षा योजनाओं और मिशन शक्ति जैसे अभियानों के बावजूद अपराध क्यों नहीं घटे? रिपोर्ट इस तरफ भी इशारा करती है कि यूपी में चार्टशीट दाखिल तो होती है लेकिन पीड़िताओं को न्याय मिलने में लंबा समय लगता है। क्या पुलिस और न्याय प्रणाली पर्याप्त संवेदनशील और प्रभावी है?
यूपी सरकार दावा करती है कि राज्य में महिलाओं के लिए सुरक्षा तंत्र मजबूत है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। विपक्ष ने इस मामले सरकार से जबाव की मांग की है।