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सांसद पप्पू यादव ने बांटे रुपये, बोले- चुनाव आयोग को जो करना है वो करे, FIR दर्ज

पप्पू यादव
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बिहार के पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में सांसद पप्पू यादव लोगों को पैसा देते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल यह वीडियो सांसद पप्पू यादव का वैशाली जिले के गनियारी गांव में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के दौरान का है, जिसमें वे बाढ़ पीड़ितों को नकद सहायता राशि देते नजर आ रहे हैं। वीडियो सामने आते ही यह मामला राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में सुर्खियों में आ गया है, क्योंकि बिहार में चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई है और आचार संहिता के दौरान इस तरह की गतिविधियों पर सख्त रोक रहती है।

वीडियो वायरल होने के बाद पप्पू यादव का बयान

वीडियो वायरल होने के बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है, तो पप्पू यादव ने साफ कहा कि उन्हें चुनाव आयोग का डर नहीं है। उन्होंने कहा-

“चुनाव आयोग के डर से पप्पू यादव गरीब की मदद करना बंद नहीं करेगा। जिसको जो करना है, वो करे। मैंने चार-चार हजार रुपये दिए हैं, ताकि किसी गरीब को तिरपाल मिल जाए और वह कुछ दिन जी सके। गरीब की मदद करना पप्पू यादव से संभव नहीं होगा कि वो छोड़ दे।”

हरकत में आया प्रशासन, एफआईआर दर्ज

वीडियो वायरल होते ही प्रशासन सक्रिय हुआ और वैशाली जिले के देसरी थाना में पप्पू यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। महनार अनुमंडल अधिकारी नीरज कुमार ने कहा है कि इस मामले की जांच सहदेई अंचल अधिकारी को सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि जांच में अगर आचार संहिता उल्लंघन की पुष्टि होती है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बाढ़ पीड़ितों की मदद और जनाधारमे

गौरतलब है कि पप्पू यादव लंबे समय से बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वे इससे पहले भी आरा के लोगों को जमनियां में बाढ़ बीच पहुंचकर राहत सामग्री और आर्थिक तौर पर मदद पहुंचाते रहे हैं। कोरोना काल के समय भी वे पटना और अन्य क्षेत्रों में इसे लेकर काफी सुर्खियों में रहे हैं।  यही वजह है कि उनके पास एक मजबूत जनाधार मौजूद है।

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लोकसभा चुनाव 2024 में उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने इस सीट पर राजद प्रत्याशी को मौका दिया था। हालांकि पप्पू यादव खुद को अब भी “कांग्रेस का सिपाही” बताते हैं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व से उनकी दूरी जगजाहिर है। विधानसभा चुनाव वे नहीं लड़ रहे हैं, फिर भी आचार संहिता के दौरान उनका इस तरह खुलेआम पैसा बांटना कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है।

क्या है चुनाव आचार संहिता?

चुनावी आचार संहिता निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए नियमों और दिशानिर्देशों का समूह है, जो चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से कराने के लिए बनाए गए हैं। यह नियम चुनाव की घोषणा होते ही लागू हो जाते हैं और मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक प्रभावी रहते हैं। आचार संहिता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार या सत्ताधारी सरकार मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग न करे।

आचार संहिता के मुख्य नियम और प्रावधान

  1. सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग नहीं: सत्ताधारी दल सरकारी वाहन, भवन या कर्मचारियों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकता।
  2. नई योजनाओं की घोषणा पर रोक: मतदाताओं को प्रभावित करने वाली नई योजनाएं, शिलान्यास या उद्घाटन नहीं किए जा सकते।
  3. खर्च सीमा का पालन: सभी उम्मीदवारों को निर्वाचन आयोग द्वारा तय खर्च सीमा का पालन करना होता है और नियमित हिसाब देना अनिवार्य है।
  4. प्रचार पर रोक (48 घंटे पूर्व): मतदान से 48 घंटे पहले सभी प्रकार के प्रचार जैसे रैली, सभा, विज्ञापन आदि बंद करने होते हैं।
  5. मतदाताओं को प्रभावित करना अपराध: किसी मतदाता को डराना, धमकाना या रिश्वत देना गैरकानूनी है।
  6. प्रचार सामग्री पर मंजूरी आवश्यक: सभी विज्ञापन और प्रचार सामग्री को निर्वाचन आयोग की स्वीकृति लेनी होती है।
  7. भड़काऊ बयानबाजी या झूठी जानकारी पर रोक: किसी भी प्रकार की भ्रामक या झूठी जानकारी फैलाना और धर्म, जाति या भाषा के आधार पर अपील करना आचार संहिता का उल्लंघन है।
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