---Advertisement---

गगन गिल को मिला 2024 का साहित्य अकादमी पुरस्कार

---Advertisement---

वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार-2024 की घोषणा हो गई है। इस बार का पुरस्कार हिन्दी की कवयित्री गगन गिल को उनकी कृति ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए दिया गया है। गिल हिन्दी की प्रतिष्ठित कवयित्री हैं। उन्होंने बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू किया, लेकिन बाद में इसे छोड़कर साहित्यिक लेखन को पूरी तरह अपना लिया। आज उनकी लिखी कविताएं अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। आइए उनके जीवन पर एक नजर डालते हैं।

साल 1959 में जन्मी गिल पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया समूह और संडे ऑब्जर्वर से करीब एक दशक तक जुड़ी रहीं। गिल यहां बतौर पत्रकार साहित्य संपादन की जिम्मेदारियां संभालती रहीं। फिर इसके बाद साल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमैन फैलो रहीं।

उनकी रचना-यात्रा करीब 35 वर्ष की हो चुकी है। इस दौरान उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया। गिल की रचनाओं में स्त्री के दुखों और उदासियों की झलक देखने को मिलती है। इन पीड़ा के स्वरों के चलते आलोचक कुछ मौके पर इन्हें महादेवी वर्मा भी कहते हैं।

गिल का लेखन संसार बहुत विस्तृत नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए दूर-देश तक अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने अब तक नौ कृतियों का सृजन किया है। जिनके जरिए वो देश-विदेश में पहचानी गईं। उनकी रचित रचनाएं अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं।

इनके द्वारा लिखे गए पाँच काव्य संग्रह आगे हैं। एक दिन लौटेगी लड़की (1989), अँधेरे में बुद्ध (1996), यह आकांक्षा समय नहीं (1998), थपक थपक दिल थपक थपक (2003) और मैं जब तक आई बाहर (2018)। इसके अलावा उन्होंने दो गद्य-कृतियाँ भी लिखी हैं, जिनके नाम आगे हैं। दिल्ली में उनींदे (2000), अवाक् (2008), देह की मुंडेर पर (2018) और इत्यादि (2018)।

Join WhatsApp

Join Now

---Advertisement---

Leave a Comment