राजधानी रांची में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन औसतन 25.25 अपराध दर्ज किए जा रहे हैं, जिनमें हत्या, डकैती, चोरी, किडनैपिंग, बलात्कार, रेप, नक्सली हमले और दंगों जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। राज्य पुलिस का दावा है कि पिछले दो वर्षों में अपराध में कमी आई है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।
छह महीने में औसतन 17.3 प्रतिशत अपराध में हुआ वृद्धि
झारखंड पुलिस की आधिकारिक रिपोर्ट बताती है कि राजधानी रांची में जहां वर्ष 2023 में पिछले छह महीने में हत्या, दंगा, अपहरण और नक्सली हमले के क्रमशः 70, 18, 104 और 16 अपराध दर्ज किए गए थे। वहीं, 2024 की मई से अक्टूबर माह में यह आंकड़ा बढ़कर क्रमशः 77, 24, 111 और 19 दर्ज किया गया। इन आंकड़ों को यदि प्रतिशत में देखें तो अपराध में औसतन 17.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मतलब वर्ष 2024 के पिछले छह माह में पिछले वर्ष की तुलना में हत्या, अपहरण, दंगे व नक्सली हमले और अन्य आपराधिक गतिविधियों के मामले में बढ़ोतरी हुई है। वहीं चोरी, लूटमार, रेप, हथियार के बल पर छिनतई और अन्य अपराधिक गतिविधियों में कमी आई है।
पुलिस बल की स्थिति और खाली पदों का असर
झारखंड में पुलिस बल की कुल स्वीकृत संख्या 82,000 है, लेकिन मौजूदा समय में लगभग 65,000 पुलिसकर्मी ही कार्यरत हैं। इसमें कांस्टेबल (सिपाही) पदों पर 4919 रिक्तियां भी शामिल हैं, जिनके लिए नियुक्ति प्रक्रिया अभी भी चल रही है। वहीं, रांची जिले में 4100 पुलिसकर्मी तैनात हैं।
जरूरत से कम हैं पुलिस
पुलिस विभाग के अनुसार, रांची जिले में वर्तमान में 45 पुलिस स्टेशन संचालित हैं, जिनमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात है। हालांकि, शहर में ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में कमी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, रांची में 1,503 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की आवश्यकता है, जबकि मौजूदा समय में केवल 331 कर्मी कार्यरत हैं।
दावे और वास्तविकता
पुलिस विभाग का दावा है कि अपराध पर नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक और त्वरित कार्रवाई की जा रही है। शहर में अपराध पर लगाम लगाने के लिए प्रमुख चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई गई है और पेट्रोलिंग में भी इजाफा हुआ है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पुलिस बल की कमी और त्वरित न्याय प्रक्रिया की अनुपलब्धता के कारण अपराधी खुले आम अपराध कर बेखौफ हैं। राजधानी में बढ़ते अपराध पर सवाल यह उठता है कि क्या मौजूदा पुलिसिंग रणनीति पर्याप्त है? रिक्तियों को भरने और अपराध नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
संबंधित विभाग के अधिकारियों के पास शहर में बढ़ते अपराध के संबंध में बात की गई लेकिन अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है।
- -राजधानी में अपराध पर काबू नहीं, औसतन हर दिन 25 से अधिक मामले दर्ज
-छह माह में हत्या, अपहरण, दंगे व नक्सली हमले जैसे अपराध में 17.3 प्रतिशत की वृद्धि
-जरूरत से कम पुलिस के चलते बढ़ रहे हैं अपराध