लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन ने अपने कर्मचारियों को मीटिंग के दौरान सप्ताह में रविवार मिलाकर 90 घंटे काम करने की सलाह दे डाली। इस बयान के बाद एक बार फिर वर्क लाइफ बैलेंस पर डिबेट चालू हो गई है। इससे पहले नारायण मूर्ति के 70 घंटे वाले बयान और ईवाय कंपनी की कर्मचारी द्वारा तनाव के चलते आत्महत्या करने के बाद भी ये डिबेट चालू हुई थी।
पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हो?
एक मीटिंग के दौरान चेयरमैन ने अपने कर्मचारियों से सप्ताह के सातों दिन काम नहीं करा पाने पर अफसोस जताया। उन्होंने मजाकिया लहजे में पूछा, आप घर में बैठकर क्या करते हैं? अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हो? दफ्तर आओ और काम शुरू करो। उन्होंने कहा कि अगर मैं आपको रविवार को भी काम करा सकता, तो मुझे बहुत खुशी होती, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।
पहले दी गई थी 70 घंटे काम की सलाह
इससे पहले भी काम करने के सिलसिले में ऐसा ही एक बयान सामने आया था। तब भारतीय बिजनेसमैन और इनफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। इसके बाद सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों में वर्क लाइफ बैलेंस और कॉर्पोरेट जगत में कर्मचारियों से की जाने वाली बेतहाशा आशाओं की भयंकर डिबेट चालू हो गई थी।
90 घंटे का मतलब हर दिन औसतन 13 घंटे काम
सप्ताह में 90 घंटे काम का मतलब है कि एक सामान्य कर्मचारी रोजाना करीब 13 घंटे काम करे और वो भी बिना अतिरिक्त वेतन मिले। कंपनी के चेयरमैन द्वारा एक औसत कर्मचारी से काम के लिए इतनी उम्मीद रखना कहां तक सही है। चेयरमेन ने 90 घंटे काम की सलाह देते समय एक चीनी व्यक्ति से हुई बातचीत का उदाहरण भी दिया था। उन्होंने कहा कि उस शख्स ने दावा किया कि चीन अमेरिका से आगे निकल सकता है, क्योंकि चीन के कर्मचारी हफ्ते में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि अमेरिकी 50 घंटे।
ईवाई पुणे की कर्मचारी ने की थी सुसाइड
मगर अपने कर्मचारियों से बेतहाशा काम कराके विकसित देश बन जाने से क्या हांसिल होगा, जहां व्यक्ति तरक्की की सीढ़ियां तो चढ़े मगर खेतों में बैल की तरह हर दम जुता रहे। बीते साल ईवाई पुणे की महिला कर्मचारी अन्ना सेबस्टियन ने कंपनी ज्वाइन करने के 4 महीना बाद ही आत्महत्या कर ली थी। परिजनों ने लंबे काम के घंटों के चलते पैदा हुए दवाब के बाद बेटी द्वारा ऐसा कदम उठाए जाने की बात कही थी।
कंपनी में वेतन की गहरी खाई
एक बार हालिया बयान देने वाले चेयरमैन सुब्रह्मण्यन के वेतन पर नजर डालते हैं। लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) की बोर्ड रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष साल 2023-24 में उन्हें बतौर चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर रहते हुए 51.05 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। यह उनके पहले साल की तुलना में 43 फीसदी की बढ़ोतरी है। एल एंड टी के एक आम कर्मचारी के औसत वेतन से यह 543.57 गुना अधिक है, जिसमें बीते साल मात्र 1.32 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
कंपनी के चेयरमैन और सामान्य कर्मचारी के वेतन में इतनी गहरी खाई है, तो काम करने के घंटों में क्यों नहीं हो सकती। एक कंपनी का मालिक इतनी बेतुकी बात कैसे सोच सकता है, ये अपने आप में हास्यास्पद और भयानक है।