9 बार बिहार के सीएम पद की शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बचपन की लव स्टोरी जानते हैं? जब नीतीश कुमार को अपने पिता की राजनीतिक महफिल में एक टीचर की बेटी से अनुराग हो गया, फिर क्या हुआ? दरअसल नीतीश कुमार के पिता पेशे से वैद्य भी थे। सक्रीय राजनीति से दूर हुए तो वैद्य का काम शुरू कर दिया, हर शाम होती राजनीतिक बहसों में उनके टीचर रामजी चौधरी भी आते थे। वहीं उनकी बेटी से दोनों को अनुराग हुआ। जानिए बचपन की इस लव स्टोरी में फिर क्या हुआ?
पिता रामलखन का राजनीति से दूर होना
ये बात साल 1957 की है। अपने समय में कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे नीतीश कुमार के पिता रामलखन अब सक्रीय राजनीति से दूर हो चुके थे। वजह थी, चुनाव लड़ने के लिए टिकट न मिलना और बढ़ते परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाना। तय हुआ कि अब पुराने पेशे में आएंगे। पेशे से वैद्य रहे नीतीश के पिता ने अपने घर के आंगन में ही दवाइयों को देने का काम शुरू कर दिया।
पिता का नहीं छूट पाया राजनीति से मोह
घर के बरामदे में बैठकर वैद्य का काम करने तो लगे, लेकिन अंदर से राजनीति का मोह कैसे छूटे? इसलिए उनकी गद्दी के आसपास लोगों की भीड़ बनी ही रहती। वहां गपशप और राजनीतिक चर्चाएं होती ही रहती थीं। इन्हीं बहसबाजियों के बीच नीतीश को अपने प्रेम के अंकुरण फूटते हुए महसूस हुए थे। मगर इससे पहले समझिए कि आखिर ये नौबत आई कैसे?
खेलने-कूदने के कम मौकों से बनी बात
दरअसल नीतीश कुमार का मन खेल-कूद में ज्यादा नहीं लगता था। उनके यार-दोस्त भी बहुत ज्यादा नहीं थे। घर और बख्तियारपुर का माहौल भी ऐसा नहीं था कि वो घर के बाहर या अंदर एकांत में जाकर समय बिताएं। विस्तार से समझाएं तो, न ही बख्तियारपुर में कोई सिनेमा हॉल, रंगमंच या लाइब्रेरी थी और न ही उनके घर में टेलीविजन, रेडियो या ट्रांजिस्टर।
जब नीतीश को टीचर की बेटी से हुआ प्यार
इसके चलते नीतीश कुमार अक्सर अपने पिता के राजनीतिक अड्डे के इर्द-गिर्द घूमते खेलते रहते थे। इस बैठकी में नीतीश के शिक्षक रामजी चौधरी भी गपशप करने आया करते थे। उनके साथ उनकी बेटी पारो भी होती थी। इन्हीं टीचर की बेटी से नीतीश कुमार को अनुराग हो गया था।
वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर अपनी किताब ‘बंधु बिहारी, कहानी लालू यादव व नीतीश कुमार की’ में इसका जिक्र करते हुए लिखते हैं- :नीतीश के शिक्षक, रामजी चौधरी की बेटी पारो है। रामजी चौधरी अक्सर वैद्यजी के साथ शाम को गपशप लड़ाने आ जाते हैं। लड़के और लड़की के बीच प्रेम अनुराग का अंकुर फूट निकलता है।”
बचपन की प्रेम कहानी का क्या हुआ परिणाम?
इसके बाद संकर्षण ठाकुर लिखते हैं- लेकिन, यह 1960 के दशक के बीच का बख्तियारपुर है, कोई दूसरी जगह नहीं, जो ऐसे अंकुरों को फलने-फूलने दे। यानी कि नीतीश कुमार की बचपन वाली लव स्टोरी आगे नहीं बढ़ पाई। इसका जिक्र आगे किताब में किया गया है कि कैसे दोनों लोगों का मिलना छूटा और पारो की शादी हो गई।
संकर्षण ठाकुर लिखते हैं- “नीतीश स्कूल में एक वजीफा पाने में सफल हो जाते हैं और इंजीनियर बनने के लिए पटना चले जाते हैं। रामजी चौधरी को निकट के ही एक स्थान, हाथीदाह के एक ग्रामीण परिवार में पारो के लिए एक वर मिल जाता है।” इस तरह पारो की शादी हो जाती है और नीतीश कुमार अपने राजनीतिक और शैक्षणिक जीवन में आगे बढ़ जाते हैं।