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कफ सिरप बना जहर! कंपनी, डॉक्टर और अफसर; सबकी वजह से गई 26 मासूमों की जान

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पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश में 22 और राजस्थान में 4 बच्चों की मौत की पुष्टि कोल्ड्रिफ सिरप पीने से हो चुकी है। जांच में सामने आया है कि इस कफ सिरप में मौजूद प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल नामक तत्व जानलेवा है। छिंदवाड़ा में यह दवा लिखने वाले सरकारी डाॅक्टर प्रवीण सोनी को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं तमिलनाडु सरकार की जांच रिपोर्ट में दवा बनाने वाली कंपनी से लेकर डाॅक्टरों तक की लापरवाही का खुलासा हुआ है।

तमिलनाडु सरकार की जांच रिपोर्ट में कई खुलासे 

आपको बता दें कि यह कफ सिरप तमिलनाडु की श्रीसेन फार्मास्युटिकल कंपनी में बनाई गई है। मासूमों की मौत के बाद सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई। जांच के लिए एक SIT गठित की गई जिसकी 44 पेज की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोल्ड्रिफ सिरप बनाने में इंडस्ट्रियल ग्रेड का प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल इस्तेमाल किया गया है, जो दवा निर्माण में प्रतिबंधित है। दवा बनाने के लिए फार्मा ग्रेड के तत्वों का उपयोग होना चाहिए।

कंपनी श्रीसन गुणवत्ता के सभी मानकों पर फेल

जांच में सामने आया है कि कंपनी के पास प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल की खरीदी का बैच नंबर नही है और ना ही इसमें जहरीले तत्वों की पहचान के लिए कोई परीक्षण किया गया है। केमिकल बिना चालान के अवैध रूप से खरीदा गया है। दवा बनाने के लिए जरूरी सभी नियमों को अनदेखा किया गया है जैसे- जरूरत से ज्यादा कच्चा माल रखना, साफ सफाई न होना, जहरीले रासायनिक तत्वों की जांच के लिए कोई प्रक्रिया का न होना आदि। कुल मिलाकर 300 से अधिक गड़बड़ियां सामने आई, जिससे दवा की गुणवत्ता पर असर हुआ। कंपनी संचालक गोविन्दन रंगनाथन को बुधवार रात चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया गया है।  

इंडस्ट्रीयल ग्रेड का प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल विषाक्त है 

दवा में इस्तेमाल प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल इंडस्ट्रीयल ग्रेड का था। क्योंकि, ये फार्मा ग्रेड से सस्ता पड़ता है। लेकिन, इसमें डायएथिलीन ग्लाइकाॅल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकाॅल (EG) जैसे विषैले तत्व होते हैं। ये तत्व किडनी, लीवर और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। बच्चों के लिए तो यह जानलेवा हो सकता है। मौत की वजह बने सिरप में 48% से अधिक DEG पाया गया है। गैर फार्मा प्रोपीलीन ग्लाइकाॅल आमतौर पर सौंदर्य प्रसाधन, प्लास्टिक, पेंट आदि में उपयोग किया जाता है।     

न जांच, न निगरानी; कंपनी, अधिकारी से लेकर डाॅक्टर तक सब लापरवाह

दवा बनने से लेकर बच्चों तक पहुंचने तक हर स्तर पर लापरवाही मासूमो की मौत की वजह बनी। कंपनी ने दवा निर्माण के सभी मानकों को दरकिनार कर उत्पादन किया और देशभर में सप्लाई की। निरीक्षण और परीक्षण में ड्रग कंट्रोलर और ड्रग इंस्पेक्टर ने अनदेखी की, जिनको दवा की क्वालिटी की निगरानी एवं जांच करानी थी। 4 साल से छोटे बच्चों को इस तरह के सिरप न देने की चेतावनी के बाद भी डाॅक्टर ने यह दवा लिखी। इस तरह की दवाएं ज्यादा कमीशन के लालच में बाजार में बेची जा रही है। मामले के बाद इन सभी पर एक्शन लिया जा रहा है। 

भारत सरकार के तय मानक एवं निर्देश 

भारत सरकार ने 2023 में दिशा निर्देश जारी किए थे कि क्लोरोफेनिरामिन मिलिएट (chlorpheniramine maleate) और फिनायलाॅफ्रीन (phenylephrine) HCL से मिलकर बनी दवाएं 4 साल से छोटे बच्चों को नहीं देनी चाहिए। इस तरह के सिरप की पैकेजिंग पर ऐसी चेतावनी भी लिखनी चाहिए। कोल्ड्रिफ सिरप में ये केमिकल होने के बावजूद चेतावनी नहीं लिखी गई थी। 

5 राज्यों ने लगाया बैन, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

कंपनी का कारोबार मुख्य तौर पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में है, लेकिन सप्लाई पूरे देश में की जा रही है। मध्यप्रदेश में 4 अक्टूबर को सिरप पर बैन लगा दिया गया। और अब तक राजस्थान, तमिलनाडु, केरल और पंजाब कुल 5 राज्यों ने इस सिरप पर रोक लगा दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दर्ज की गई। मामले की CBI जांच के साथ सभी संदिग्ध दवाओं की गहन जांच के बाद बिक्री की मांग की गई है। कोर्ट ने सुनवाई की मंजूरी दे दी है।  

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