चीन के DeepSeek AI के आने के बाद ग्लोबल टेक मार्केट में खलबली मच गई है। इसके चलते अमेरिकी कंपनी एनवीडिया के शेयर मार्केट में काफी गिरावट आई है। DeepSeek के आने बाद भारत ने भी इस दौड़ में कदम रखते हुए अपने खुद के Generative AI के विकास का ऐलान कर दिया है। इससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर अब दुनिया में एक नई जंग छिड़ गई है। जहां पहले OpenAI का ChatGPT और Google का Gemini AI सबसे बड़े नाम हुआ करते थे, वहीं अब टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव के चलते दूसरे अन्य एआई भी आ गए हैं।
जैसे पहले एलन मस्क ने अपनी कंपनी Grok AI को लॉन्च किया, तो अब चीन ने भी अपनी ताकत दिखाते हुए DeepSeek AI को दुनिया के सामने पेश कर दिया है। आइये जानते हैं क्या है DeepSeek AI और यह कैसे काम करता है –
क्या है DeepSeek AI ?
DeepSeek AI एक चीनी टेक कंपनी है, जिसे जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया था। यह कंपनी उन्नत तकनीक के जरिए एक ऐसा AI मॉडल बना रही है, जो इंसानों जैसी सोच और जवाब देने की क्षमता रखता है। DeepSeek की खासियत यह है कि यह मल्टी-टास्किंग में काफी बेहतर है और अलग-अलग भाषाओं और विषयों पर सटीक और रचनात्मक तरीके से जवाब देने में सक्षम है।
किसने की इसकी शुरुआत?
DeepSeek AI की शुरुआत चीन के कुछ प्रमुख टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स और AI रिसर्चर्स ने मिलकर की थी। इसमें मुख्य रूप से लिआंग वेनफेंग का नाम सामने निकल कर आ रहा है। इंटरनेट मीडिया के अनुसार उन्होंने हेज फंड के ज़रिए निवेशक जुटाकर डीपसीक की शुरुआत की थी। इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य है, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के AI प्रभुत्व को चुनौती देना और चीन को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाना।
क्यों चर्चा में है DeepSeek AI ?
DeepSeek AI चर्चा में इसलिए है क्योंकि इसने एआई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए हैं। यह OpenAI के ChatGPT और Google के Gemini AI को सीधी टक्कर देने लगा है। इस एआई मॉडल की खासियत है कि यह बेहद कम समय में बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेस कर सकता है और जटिल सवालों के सटीक जवाब दे सकता है।
DeepSeek AI का दावा है कि यह न केवल टेक्स्ट जेनरेशन बल्कि कोडिंग, बिजनेस एनालिटिक्स, और साइंटिफिक रिसर्च के क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन करता है। यही वजह है कि ग्लोबल कंपनियां इसकी क्षमताओं को लेकर हैरान हैं और अमेरिका जैसे देशों में इसे लेकर गंभीर चर्चाएं हो रही हैं।
DeepSeek से अमेरिकी मार्केट में मची खलबली
DeepSeek AI के लॉन्च के बाद अमेरिकी टेक मार्केट में काफी हलचल देखने को मिली। खासकर AI से जुड़े बड़े निवेशकों और कंपनियों पर इसका असर पड़ा। अमेरिका की जानी-मानी चिप निर्माता कंपनी NVIDIA जो दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी है, उसके शेयरों में काफी गिरावट दर्ज की गई। DeepSeek की तकनीकी सफलता ने कई निवेशकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब AI का भविष्य केवल अमेरिका के हाथ में नहीं है।
कैसे काम करता है DeepSeek?
DeepSeek एक Large Language Model (LLM) पर आधारित है, जो मशीन लर्निंग और डेटा एनालिसिस के जरिए काम करता है। यह मॉडल इंटरनेट पर मौजूद विशाल मात्रा में जानकारी को पढ़ता, समझता और फिर उसका विश्लेषण करता है, जिससे यह किसी भी सवाल का त्वरित और सटीक जवाब दे सकता है।
भारत की नई पहल : खुद का Generative AI
DeepSeek AI के आने के बाद केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्कर्ष ओडिशा कॉन्क्लेव में कहा कि भारत अब अपना खुद का जनरेटिव AI बना रहा है, यह परियोजना India AI Compute Facility के तहत चलाई जाएगी। जो इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा और सीधे तौर पर ChatGPT और DeepSeek को टक्कर देगा।
इस पहल के तहत भारत ने देश की जरूरतों के मुताबिक एक बड़ा Large Language Model (LLM) विकसित करने की तैयारी की है। इसके लिए सरकार ने 18,000 GPU (Graphics Processing Units) भी हासिल किए हैं, जो AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए जरूरी हैं। यह मॉडल न केवल हिंदी बल्कि भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी काम करेगा, जिससे तकनीक की पहुंच आम लोगों तक होगी।
AI की यह जंग अब सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है। भारत के इस कदम से दुनिया भर में तकनीकी प्रतिस्पर्धा और तेज हो जाएगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा देश इस दौड़ में सबसे आगे निकलता है। पर एक बात तो साफ है – भविष्य AI का है, और इस भविष्य को आकार देने के लिए भारत भी तैयार है।
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