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दिल्ली में आम आदमी ने चुनी भाजपा, आप की हुई हार; कांग्रेस फिर जीरो पर आउट

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आठ फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे सामने आ गए हैं। ये नतीजे खासकर आम आदमी पार्टी के लिए चौकाने वाले रहे, क्योंकि आप को महज 22 सीटें मिलीं। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में 27 साल बाद वापसी करते हुए कुल 48 सीटों को अपने नाम किया। कांग्रेस एक बार फिर जीरो पर आउट हो गई, हालांकि उसके वोट शेयर में पिछले बार से बढ़ोतरी हुई और उसने कुल 6.34 फीसदी वोट अपने नाम किए।

जानिए किस पार्टी को कितने वोट मिले
भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर निकली। उसे कुल 70 सीटों में 48 पर जीत मिली। इस तरह उसका वोट प्रतिशत 45.56 फीसदी रहा। वहीं आप 22 सीटों के साथ 43.57 फीसदी वोट जुटाने में कामयाब हुई। इस तरह करीब 2 फीसदी वोट अधिक जीतकर भाजपा ने आम आदमी पार्टी से 26 अतिरिक्त सीटें जीत लीं।

इन नतीजों में अगर कांग्रेस के आंकड़ों को भी जोड़कर देखें तो ये चुनाव की स्थिति और भी साफ हो जाती है। हालांकि कांग्रेस इस बार भी जीरो पर आउट हो गई, लेकिन उसके वोट शेयर में पहले से बढ़ोतरी हुई और उसने कुल 6.34 फीसदी वोट अपने नाम किए। हालांकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन आप के वोट काटने में बड़ी भूमिका रही।

कांग्रेस महज शून्य पर नहीं हुई आउट
हालांकि कांग्रेस इस बार भी खाता खोलने में नाकामयाब रही, लेकिन इसने आप के वोटबैंक को नुकसान जरूर पहुंचाया है। मतलब टाइट फाइट वाली सीटों पर मतदाता आप या भाजपा की जगह कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गए। इस तरह अगर लोकसभा चुनाव की तरह आप और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ती तो शायद स्थिति(आप की 22 सीट) कुछ और होती।

आप के कई दिग्गजों की हुई हार
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कई दिग्गज नेता इस चुनाव में अपनी सीट बचाने में नाकामयाब साबित हुए। इस कड़ी में सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, दु्र्गेश पाठक, सत्येंद्र जैन शामिल हैं। पार्टी के स्तंभ कहे जाने वाले इन चेहरों की हार ने आप समेत केजरीवाल पर कई बड़े प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए।

मनीष सिसोदिया को जंगपुरा विधानसभा में तरविंदर सिंह मारवाह ने 675 वोटों से हराया, तो वहीं अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट से प्रवेश साहिब सिंह ने 4089 वोटों से हरा दिया। ग्रेटर कैलाश से सौरभ भारद्वाज को शिखा रॉय ने 3188 वोटों से हराया। इसी तरह अन्य बड़े नेता भी महज हजार वोटों से हार गए।

आप की बड़ी शिकस्त क्यों
साल 2013 में आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था। सबसे पहले लड़े चुनाव में पार्टी ने 28 सीटें जीतीं और कांग्रेस की मदद से सरकार बना ली। हालांकि सरकार आगे नहीं चली और केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद साल 2015 के चुनाव में बंपर जीत दर्ज करते हुए 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। इसके बाद 2020 के अगले चुनाव में 62 सीटें अपने नाम कीं। अपने गठन से लगातार जीत रही पार्टी का इस तरह 22 सीटों पर सिमटना महज संयोग नहीं है। चुनाव आयोग की साइट से देखें नतीजे।


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