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आतंक का अंत: 30 साल का अमन साहू जेल में बैठकर देता था घटनाओं को अंज़ाम; 13 साल 129 से अधिक केस में नामजद

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झारखंड और आसपास के राज्यों में आतंक का पर्याय बना कुख्यात अपराधी अमन साहू मंगलवार को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। अमन को झारखंड पुलिस छत्तीसगढ़ से रांची ला रही थी, तभी पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड में उसके गिरोह के सदस्यों ने पुलिस काफिले पर हमला कर दिया। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अमन ढेर हो गया। अमन पर 150 से ज्यादा संगीन अपराधों के मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या, रंगदारी, अपहरण और गोलीबारी जैसी घटनाएं शामिल थीं।

कैसे हुआ एनकाउंटर?

अमन साहू को हजारीबाग एनटीपीसी डीजीएम की हत्या और बरियातू में एक व्यवसायी पर गोलीबारी के मामले में पूछताछ के लिए छत्तीसगढ़ से झारखंड लाया जा रहा था। झारखंड पुलिस का तीन गाड़ियों का काफिला जब पलामू जिले के चैनपुर क्षेत्र से गुजर रहा था, तब साहू गैंग के अपराधियों ने पुलिस टीम पर सूतली बम से हमला कर दिया।

हमले के बाद अमन साहू एक पुलिसकर्मी की इंसास राइफल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और पुलिस पर फायरिंग भी की। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे घेर लिया और अमन मौके पर ही मारा गया। पुलिस ने घटना के बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन भी चलाया, जिसमें साहू गैंग के कुछ अन्य अपराधियों की तलाश जारी है।

कौन था अमन साहू?

अमन साहू झारखंड की राजधानी रांची के ठाकुरगांव थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला था। वह पढ़ाई में तेज था और 10वीं कक्षा 78% अंकों से पास की थी। इसके बाद उसने इंजीनियरिंग डिप्लोमा भी प्रथम श्रेणी से पास किया। लेकिन करीब 13 साल पहले 2012 में उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।

अमन साहू का नाम पहली बार 2019 में चर्चा में आया, जब उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया। लेकिन कुछ ही महीनों बाद वह जेल से फरार हो गया और अपने गिरोह का तेजी से विस्तार करने लगा। अमन सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहता था और हथियारों के साथ तस्वीरें पोस्ट कर अपने गैंग का खौफ बनाए रखता था।

30 साल के अमन पर 129 नामजद केस दर्ज

महज 30 साल की उम्र में अमन साहू झारखंड का मोस्ट वांटेड अपराधी बन चुका था। उसके खिलाफ 129 नामजद मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या, रंगदारी, अपहरण, लूट और पुलिस पर हमले जैसी संगीन वारदातें शामिल थीं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, अमन ने झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल में अपना नेटवर्क फैला रखा था। उसकी गैंग सुपारी किलिंग, कोयला कारोबारियों से रंगदारी और हथियारों की तस्करी में भी सक्रिय थी।

झारखंड और पड़ोसी राज्यों में आतंक का दूसरा नाम था अमन साहू

अमन साहू झारखंड के रांची, रामगढ़, हजारीबाग, लोहरदगा, लातेहार, धनबाद और दुमका जिलों में काफी सक्रिय था। इसके अलावा छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के कई जिलों में भी उसका नेटवर्क फैला हुआ था।

उसका गिरोह रंगदारी, हत्या, अपहरण और सुपारी किलिंग में लिप्त था। व्यवसायियों, डॉक्टरों और कोयला कारोबारियों से रंगदारी मांगना उसकी आम रणनीति थी।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग से था कनेक्शन

पिछले कुछ वर्षों में अमन साहू के तार लॉरेंस बिश्नोई गैंग से भी जुड़े पाए गए। जुलाई 2024 में अजमेर से गिरफ्तार लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गे दिनेश सिंह रावत ने पूछताछ में यह स्वीकार किया था कि अमन साहू और बिश्नोई गैंग के बीच गठजोड़ था।

यह गठजोड़ झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में अवैध हथियारों और ड्रग्स तस्करी से जुड़ा हुआ था। एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) भी इस मामले की जांच कर रही थी।

जेल में रहते हुए भी करता था अपराध

अमन साहू को झारखंड के आधा दर्जन से अधिक जेलों में रखा गया। लेकिन हर बार वह जेल से ही अपना गिरोह संचालित करता रहा।

अक्टूबर 2024 में उसे झारखंड के चाईबासा से छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल में शिफ्ट किया गया था, क्योंकि झारखंड में रहते हुए वह मोबाइल फोन के जरिए अपराध की दुनिया को कंट्रोल कर रहा था।

राजनीति में आने की थी योजना

अमन साहू सिर्फ अपराध की दुनिया में ही नहीं, बल्कि राजनीति में भी एंट्री की योजना बना रहा था। सोशल मीडिया पर उसने खुद को 2029 में बड़कागांव का भावी विधायक बताया था। वह बीजेपी और जेएमएम जैसे दलों से जुड़े पोस्टर और बैनर शेयर कर राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा था।

अमन साहू के बड़े अपराध

अमन साहू ने कई संगीन अपराध किए, जिनमें ये प्रमुख हैं :

1. एनटीपीसी डीजीएम की हत्या: जुलाई 2025 में हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम की हत्या।

2. बरियातू में व्यवसायी पर हमला: 2023 में रांची के बरियातू में एक व्यवसायी पर गोलीबारी की घटना।

3. रंगदारी के लिए कोयला कारोबारियों का अपहरण: 2022 में धनबाद के कोयला कारोबारियों से करोड़ों की रंगदारी मांगी और न देने पर अपहरण किया।

4. छत्तीसगढ़ में पुलिस टीम पर हमला: 2021 में छत्तीसगढ़ में पुलिस टीम पर फायरिंग कर दो पुलिसकर्मियों की हत्या।

5. जेल से भागने की योजना: 2020 में हजारीबाग जेल से भागने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा।

गिरोह को खत्म करने में जुटी पुलिस 

अमन साहू पिछले एक दशक से अपराध की दुनिया में सक्रिय था। उसका खौफ झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और बंगाल तक फैला हुआ था। झारखंड पुलिस के लिए यह एनकाउंटर एक बड़ी सफलता है, क्योंकि अमन साहू गैंग पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ा था। अब पुलिस का फोकस उसके गिरोह के बाकी सदस्यों की गिरफ्तारी पर होगा,ताकि अपराध के इस नेटवर्क को पूरी तरह खत्म किया जा सके।

इस लेख को लिखने में प्रत्युष कुमार सिन्हा का अहम योगदान रहा है। प्रत्युष भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में हिन्दी पत्रकारिता के छात्र हैं।

 

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