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साल 2024 में इन दिग्गजों ने कहा दुनिया को अलविदा, ‘भारत ने खोए अपने रत्न’

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साल 2024 में कई दिग्गज हस्तियों ने हमें अलविदा कहा। इनकी पहचान देश-दुनिया के कोने-कोने तक थी। ये राजनीति, खेल, सिनेमा, बिजनेस और संगीत की दुनिया से जुड़े थे, जिनकी कमी हमे हमेशा खलती रहेगी। इस लिस्ट में जाकिर हुसैन, सीताराम येचुरी, रतन टाटा, पंकज उधास, मुनव्वर राणा, बाबा सिद्दीकी, शारदा सिन्हा जैसे कोहिनूर शामिल हैं।

जाकिर हुसैन
मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन की मौत ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ नामक फेफड़ों से जुड़ी दुर्लभ बीमारी के चलते हुई है। उस्ताद फेफड़ों से जुड़ी बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। तबला वादक अल्ला रक्खा के घर 9 मार्च 1951 को जाकिर ने जन्म लिया और 73 साल की उम्र में अमेरिका के सेनफ्रेंसिस्को के एक अस्पताल में 15 दिसंबर 2024 को आखिरी सांस ली।

12 साल की उम्र में संगीत की दुनिया में तबले की आवाज से लोगों का दिल जीतना शुरू किया। धीरे-धीरे ये कारंवा बढ़ता ही गया। साल 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। साल 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरुष्कार, ग्रैमी अवॉर्ड भी मिला।

रतन टाटा
रतन टाटा मशहूर इंडस्ट्रियलिस्ट और परोकारी थे। ब्रिटिश राज के दौरान दिसंबर 1937 में रतन टाटा का जन्म नवल टाटा (पारसी परिवार) के घर हुआ था। नवल टाटा को जमशेदजी टाटा के बेटे रतनजी टाटा ने गोद लिया था। इन्ही जमशेदजी टाटा ने टाटा ग्रुप को स्थापित किया था। रतन टाटा ने हार्वड बिजनेस स्कूल से मेनेजमेंट की पढ़ाई की थी। उन्होंने टाटा ग्रुप ज्वाइन किया और साल 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप और टाट सन्स के चेयरमैन रहे। साल 2000 में पद्म भूषण और साल 2008 में पद्म विभूषण से स्मानित किया गया था।

सीताराम येचुरी

सीताराम येचुरी भारतीय मार्कसवादी राजनेता थे। साल 1952 में मद्रास के तेलगु ब्राह्मन परिवार में उनका जन्म हुआ था। सेंट स्टीफन कॉलेज ऑफ दिल्ली और जेएनयू से अर्थशास्त्र में डिग्रियां लीं। पीएचडी भी की। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया और फिर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) को ज्वाइन किया।

वह 2015-24 तक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) के जनरल सेक्रेटरी भी रहे। 1992-2924 तक पोलितब्यूरो ऑफ दि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) के सदस्य भी रहे। वहीं बंगाल से राज्यसभा पहुंचे और साल 2005-2017 तक इसके सदस्य रहे।

पंकज उधास
संगीत की दुनिया में नाम कमाने वाले मशहूर गायक। गुजरात के राजकोट में जमीदार परिवार में जन्मे पंकज गजल गायक बने। पंकज उधास बड़े भाई मनहर की वजह से संगीत की दुनिया में आए और पहला प्रदर्शन भारत-चीन युद्ध के दौरान ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गाया। इससे उन्हें दर्शकों का प्यार मिला। इसके बाद धीरे-धीरे गायकी की दुनिया में कई पुरुस्कार जीते, जिसमें साल 2006 में पद्मश्री भी शामिल था। लंबी बीमारी के चलते फरबरी 2024 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

मुनव्वर राणा
राणा भारतीय उर्दू कवि और राजनीति में अपना प्रभाव रखने वाली शख्शियत थे। आजादी के बाद साल 1952 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे राणा ने अपना अधिकांश जीवन पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में बिताया। राणा ने उर्दू और अवधी में लिखा, लेकिन फारसी और अरबी शब्दावली से उचित दूरी रखी। उनकी लेखनी का अधिकांश हिस्सा प्रेम रहा, जिसका केंद्र बिन्दू मां रही। उन्हें अपनी कविता शाहदावा के लिए साल 2014 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से नवाजा गया था।

साल 2020 में उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर अयोध्या फैसला देने के लिए खुदको बेचने का गंभीर आरोप लगाया था। राणा ने कहा यह न्याय नहीं आदेश है। राणा ने तालिबान को आतंकी संगठन मानने से इंकार किया था। इस तरह कई विवादों में घिरे रहने वाले राणा ने साल 2024 की जनवरी में अंतिम सांस ली।

शारदा सिन्हा
मैथिली, भोजपुरी और हिन्दी गीत गाकर लोगों के दिलों में राज करने वाली गायिका। साल 1952 में बिहार के सुपौल में जन्मी सिन्हा ने मैथिली लोकगीतों को गाकर अपने गायन की शुरूआत की थी। उनके गाये हुए गीत अक्सर दुर्गा पूजा, विवाह समारोह, छठ और अन्य त्योहारों पर सुनाई पड़ते थे। अपने गायन के कारण उन्हें बिहार कोकिला कहा जाता था। इसके लिए उन्हें कई सम्मान से नवाजा गया, जिसमें साल 1991 में पद्मश्री, साल 2018 में पद्मभूषण शामिल था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरुस्कार भी मिला था।

बाबा सिद्दीकी
भारतीय राजनीतिज्ञ, महाराष्ट्र के बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। ये साल 1999, 2004 और 2009 में तीन बार एमएलए बने। साल 2004-208 तक महाराष्ट्र के सीएम विलासराव देशमुख के कार्यकाल में खाद्य और नागरिक आपूर्ती और श्रम राज्य के मंत्री रहे। इनकी मौत काफी चर्चा का विषय रही। अकटूबर 2024 को मुंबई में तीन हमलावरों ने इनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में सामने आया था कि तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने इस हत्या को अंजाम दिया था।

 

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