साल 2020 में करीब पांच वर्ष पहले मधुआमा, खूंटी की रहने वाली 15 वर्षीय आशियानी होरो की गलती बस इतनी-सी थी कि उनकी आंखों में भविष्य को लेकर सपने थे और मन में अरमान कि दिल्ली जाएगी, हवाई जहाज से सफर करेगी, नौकरी मिलेगी और पैसा कमाएगी। आखिर पड़ोसी ने जो उसे सपने दिखाए थे। लेकिन यह न तो आशियानी जानती थी, न ही उसका परिवार, कि वह एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है, जहां से फिर वापस लौटना शायद मुमकिन न हो। बहकावे में आकर वह उस अंधेरे जाल में फंस गई, जिसे दुनिया ‘मानव तस्करी’ के नाम से जानती है।
उम्मीद और उजाले की तलाश में निकली आशियानी इन प्लेसमेंट एजेंसियों के नौकरी देने के झांसे में आकर पांच साल तक कहां गुम हो गई, कोई खबर लेने वाला नहीं। बेटी के आने की उम्मीद लगाए पिता भोमा होरो भी चल बसे लेकिन बेटी की कोई खबर नहीं। हाल ही में जब पीड़िता की की मां करीना होरो ने प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए काम करने वाले कौशांबी, कर्रा के रहने वाले एजेंट बिमल सिंह को देखी, जिसने उसकी बेटी को नौकरी का झांसा देकर ले गया था। उससे जब पूछा कि बेटी कहां है, तो उसने कहा कि दिल्ली में नौकरी कर रही है, आ जाएगी जल्दी। जब उसने जिद किया और कहा कि मुझे मेरी बेटी चाहिए, तो उसने कहा ऊंची आवाज में बात मत करो। नहीं तो बेटी की अश्लील वीडियो वायरल कर देंगे।

बेटी की अश्लील वीडियो को वायरल करने का डर, गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के चलते न जाने कितनी आदिवासी समुदाय की महिलाएं और छोटी-छोटी बच्चियां इन प्लेसमेंट एजेंटों के तस्करों के आसानी से शिकार बन रहे हैं, और उनका शारीरिक और मानसिक शोषण हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में औसतन 25 लोग प्रतिदिन मानव तस्करी के शिकार हो रहे हैं। वर्ष 2023-24 के अंत तक राज्य में कुल 92 मानव तस्करी के मामले दर्ज किए गए, जिसमें कुल 298 लोग इस संगीन अपराध के शिकार हुए।
एक वर्ष में 43.96 प्रतिशत बढ़े तस्करी के मामले
सीबाआई से मिली रिपोर्ट के अनुसार, मानव तस्करी के मामले झारखंड में हर वर्ष तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण आदिवासी बहुल राज्य का होना है, जहां लोग अज्ञानता और अशिक्षा के कारण आसानी से इसके शिकार बन रहे हैं। गौरतलब है कि 2023 में झारखंड में कुल 207 मामले सामने आए थे, जिनमें 36 मामले पेंडिंग में रहे। जबकि वर्ष 2024 के अंत यह आंकड़ा 43.96 प्रतिशत बढ़कर 298 तक पहुंच गया।
सीबीआई में रिपोर्ट हुए मामले की बात करें तो वर्ष 2023 में तस्करी के कुल 257 लोग शिकार हुए। जिनमें 18 वर्ष से कम उम्र के 91 युवक और 18 वर्ष से अधिक उम्र के 86 युवक थे। वहीं, 18 वर्ष से कम उम्र की 86 युवतियां और 18 वर्ष से अधिक की 17 महिलाएं इस अपराध का शिकार हुईं।
मानव तस्करी के मामले में हॉटस्पॉट जिले
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में कुछ ही ऐसे हाटस्पाट जिले हैं, जहां से हर रोज ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। कभी किसी को नौकरी का झांसा देकर तो कभी किसी को बहला-फुसलाकर तो कभी मानव तस्कर जबरदस्ती उठाकर ले जाते हैं। इन जिलों में साहिबगंज, खूंटी, रांची, चाईबासा, लातेहार और सिमडेगा शामिल हैं। यहां से सबसे अधिक युवतियां व महिलाओं की तस्करी होती हैं।
झारखंड में मानव तस्करी के विरुद्ध पिछले दो दशक से मुहिम चलाने वाले बैधनाथ कुमार इस संबंध में बताते हैं कि मानव तस्करी की शिकार हुई अधिकांश लड़कियों को दिल्ली, नोएडा, मुंबई, पुणे जैसे महानगरों में उन्हें बेच दिया जाता है। जहां ये लड़कियां उन महानगरों में सेक्स वर्कर, घरों में नौकरानी या अन्य यौन संबंधी अपराधों में धकेल दी जाती हैं।
इन जिलों से होती है लड़कों की तस्करी
युवकों के संबंध में रांची, लोहरदगा, धनबाद, गिरिडीह, पलामू और जामताड़ा ऐसे जिले बनकर उभरे हैं, जहां से सबसे अधिक युवकों की तस्करी होती हैं। ये युवक यहां से तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक आदि राज्यों में भेजे जाते हैं, जहां उनसे फैक्टियों और कल-कारखानों में सबसे अधिक मानव श्रम कराया जाता है।
रांची में सबसे अधिक मानव तस्करी
राजधानी रांची भी तस्करी के मामलों से अछूता नहीं रहा है और पिछले वर्ष 2024 में सबसे अधिक मानव तस्करी से प्रभावित रहा। रांची से 2024 में, 47 लोगों को तस्करी का शिकार बनाया गया। वहीं, बात करें अगर 2023 की तो रांची में 33 मामले सामने आए थे। मतलब राजधानी में तमाम सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी तस्करी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। सिर्फ राजधानी में तस्करी के मामलों में 2023 की तुलना में 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।