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बेकाबू मुस्लिम भीड़ ने श्रीनगर की दरगाह से अशोक स्तंभ का चिन्ह जबरन हटाया, क्या बोले सीएम अब्दुल्ला?

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जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में मुस्लिम भीड़ द्वारा राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के चिन्ह को मिटाने का मामला सामने आया है। वायरल हो रहे वीडियो में दिखाई देता है कि बेकाबू हो रही भीड़ ने दरगाह की आधारशिला पर बने अशोक स्तंभ के प्रतीक चिन्ह को पत्थर मार-मारकर नष्ट कर दिया।

दहशतगर्दाना हमले में मरते-मरते बचा प्रबंधक
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो भाजपा नेता और जम्मू एंड कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरक्शां अंद्राबी का बयान सामने आया। यह बहुत ही अफसोसजनक है। नेशनल एंबलम को तोड़ना उनका दहशतगर्दाना हमला है।

ये एक सियासी पार्टी के गुंडे हैं, जिन्होंने ये किया है। इन्हीं गुंडों ने पहले भी कश्मीर में तबाही की थी। आज भी ये लोग खुलकर दरगाह शरीफ में आ गए।

दरक्शां का आरोप है कि एडमिनिस्ट्रेटर के ऊपर भी उन लोगों ने हमला किया है। वह मरते-मरते बचा है।

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सीएम बोले, पत्थर पर एंबलम का इस्तेमाल क्यों?
इस हमले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, उस पत्थर पर एंबलम लगना चाहिए या नहीं, पहले तो ये सवाल बनता है। मैंने अभी तक किसी मजहबी भी मजहबी इदायरे में किसी फंक्शन में इस तरह का इस्तेमाल होते हुए नहीं देखा है।
अब्दुला ने सवाल किए-

क्या मजबूरी थी कि हजरतबल के इस पत्थर पर एंबलम इस्तेमाल हो? और फिर पत्थर लगाने की क्या जरूरत थी? क्या काम काफी नहीं था?

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सीएम बोले, इसके लिए माफी मांगी जाए
पहले तो लोगों के जज्बातों के साथ खिलवाड़ हुआ। कम से कम इसके लिए तो माफी मांगी जाए। ये कहें कि हमसे गलती हुई, पत्थर पर ये इस्तेमाल नहीं होना चाहिए था। किसी ने नहीं किया।

सरकारी एंबलम सिर्फ ओर सिर्फ सरकारी फंक्शनों में इस्तेमाल होते हैं। मस्जिद, दरगाह, गुरुद्वारा, मंदिर… ये सरकारी इदायरे नहीं हैं। ये मजहबी इदायरे हैं। मजहबी इदायरों में सरकारी एंबलम इस्तेमाल नहीं होते।

दरगाह में रखा है पैगंबर मुहम्मद का बाल

इस विवाद और बयान के बाद इस दरगाह के बारे में जानिए। यह दरगाह भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में है। इसकी स्थापना ख्वाजा नूरुद्दीन ईशाई की बेटी और यहां मौजूद अवशेष की सरंक्षक इनायत बेगम ने की थी।

दरगाह में पहली इमारत का निर्माण 17वीं शताब्दी में बादशाह शाहजहां के शासनकाल में हुआ था। यहां एक अवशेष मौजूद है, जिसे मोई-ए-मुकद्दस कहते हैं। मान्यता के अनुसार इसे इस्लामी पैगंबर मुहम्मद का बाल माना जाता है।

यह एक सूफी दरगाह और मस्जिद है, जिसे कश्मीर की सबसे पवित्र दरगाह माना जाता है। दरगाह की पवित्रता को पढ़ने के बाद एक नजर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तभ पर भी डालिए।

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राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह, अशोक स्तंभ की खास बातें
अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। इतिहास की गहराइयों में जाएं तो पता चलेगा कि इसे सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए अशोक स्तंभ से लिया गया है। इसे भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अपनाया

आपने अक्सर भारत सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों, पैसों, न्यायपालिका और संसद भवन में एक दूसरे की पीठ से सटे हुए शेर वाली प्रतिमा या आकृति देखी होगी। यही है देश का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ। इस चिन्ह के नीचे लिखा होता है- सत्यमेव जयते

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