अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 18 मार्च को अमेरिका के फ्लोरिडा में समुद्र तट पर उतरेंगे। यह वापसी स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल से होगी, जिसे क्रू-10 मिशन के तहत नासा और स्पेसएक्स ने लॉन्च किया गया है।
ISS में फंसे कैसे?
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बीते साल 5 जून को Boeing Starliner स्पेसक्राफ्ट से 8-दिन के मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे थे। लेकिन, तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी लगातार टलती रही, जिससे वे नौ महीने तक अंतरिक्ष में फंसे रहे। अब, उनकी सुरक्षित वापसी के लिए नासा और स्पेसएक्स ने मिलकर एक मिशन लॉन्च किया है।
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दो अन्य अंतरिक्ष यात्री भी साथ लौटेंगे
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के साथ नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर पृथ्वी पर लौटेंगे।
सुनीता विलियम्स की वापसी देखे सकेंगे लाइव
नासा ने बताया है कि स्पेसएक्स क्रू-10 मिशन की वापसी का सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) किया जाएगा। प्रसारण शुरू होने का समय: भारत में 18 मार्च को सुबह 8:30 बजे
कहाँ देखें?: नासा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल, वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह लाइव स्ट्रीमिंग उपलब्ध होगी। दर्शक इस प्रसारण के जरिए ड्रैगन कैप्सूल के हैच बंद होने से लेकर पृथ्वी पर सुरक्षित लैंडिंग तक की पूरी प्रक्रिया देख सकेंगे।
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सुनीता विलियम्स: भारतीय मूल की दिग्गज अंतरिक्ष यात्री
भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स दुनिया की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। वह दो बार अंतरिक्ष मिशन पर जा चुकी हैं और कई महत्वपूर्ण प्रयोगों का हिस्सा रही हैं। उन्होंने स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चहलकदमी) के कई रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्होंने अपने करियर में 300 से अधिक दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं।
नासा तैयार, लेकिन स्वास्थ्य पर चिंता
नासा के अधिकारी स्टीव स्टिच ने कहा, “बुच और सुनीता ने ISS में शानदार काम किया है और हम उन्हें वापस लाने के लिए उत्साहित हैं।”
हालांकि, विशेषज्ञों को चिंता है कि इतने लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष की भारहीन स्थिति) में रहने से उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। लंबे समय तक स्पेस में रहने से हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। ब्लड सर्कुलेशन और हार्ट फंक्शन पर भी असर पड़ सकता है। गुरुत्वाकर्षण में अचानक वापसी से बॉडी बैलेंस और इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है।