---Advertisement---

National Herald Case: गांधी परिवार पर टूटा मुश्किलों का पहाड़, ED ने दाखिल की चार्जशीट

---Advertisement---

नेशनल हेराल्ड केस आज भारत की राजनीति में सबसे चर्चित और विवादास्पद मामलों में से एक है। यह मामला सीधे तौर पर देश के सबसे प्रमुख राजनीतिक परिवार ‘गांधी परिवार’ से जुड़ा है। इसमें सत्ता, संपत्ति और राजनीति का गहरा मेल देखने को मिलता है। ये कोई आम खबर नहीं बल्कि गांधी परिवार के घोटाले से सम्बंधित है। आइये जानते हैं क्या है नेशनल हेराल्ड केस ? कैसे खुली इसकी पोल और ऐतिहासिक मुददों पर भी चर्चा करते है|

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

नेशनल हेराल्ड एक अखबार है, जिसकी शुरुआत साल 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई थी। इस अखबार का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को बौद्धिक रूप से बल देना और लोगों में राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करना था। इस अखबार का स्वामित्व एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के पास था, जो हिंदी में ‘नवजीवन’, उर्दू में ‘कौमी आवाज’ और इंग्लिश में ‘नेशनल हेराल्ड’ नामक अन्य समाचारपत्र भी प्रकाशित करता था।

सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर खुला मामला

अब सारे विवाद की जड़ यहीं से शुरू हुआ और इस मामले ने तूल पकड़ी और सियासत में एक नया तूफान आया। पहली बार इस पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि यंग इंडियन ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का रास्ता खोज निकाला, जो कानून और नैतिकता दोनों के खिलाफ है।

हेराल्ड केस में कांग्रेस पर क्या है आरोप?

नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत 2012 में तब हुई जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक कोर्ट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की। स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नाम की कंपनी के जरिए AJL की संपत्तियों को धोखे से हासिल किया। उनके अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया अवैध थी और इसका मकसद 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी पर कब्जा करना था।

हेराल्ड केस में अब तक क्या हुआ?

कानूनी प्रक्रिया सुब्रमण्यम स्वामी ने नवंबर 2012 में दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर करके शुरू की। इसके दो साल बाद, जून 2014 में अदालत ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ समन जारी किया। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाएं देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अगस्त 2014 में जांच शुरू की। 19 दिसंबर 2015 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गांधी परिवार के सदस्यों को नियमित जमानत दे दी। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई को रद्द करने से इंकार कर दिया, लेकिन उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी गई।

ED का कांग्रेस पर आरोप 

ED ने यह भी आरोप लगाया कि यंग इंडियन ने AJL की संपत्तियों का उपयोग 18 करोड़ रुपये की “फर्जी दान”, 38 करोड़ रुपये की “फर्जी अग्रिम किराए”, और 29 करोड़ रुपये की “फर्जी विज्ञापनों” के जरिए अवैध धन उत्पन्न करने के लिए किया। इसके अलावा, जांच में पाया गया कि AJL को समाचार पत्र प्रकाशन के लिए सरकार द्वारा रियायती दरों पर दी गई जमीन का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया, जो नियमों का उल्लंघन था.

हालांकि, इस मामले में गांधी परिवार का प्रत्यक्ष संबंध तब सामने आया जब 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक एक नई कंपनी का गठन हुआ. इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी निदेशक थे और उनके पास 76% शेयर थे, जबकि शेष 24% शेयर कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस (दोनों अब दिवंगत) के पास थे.

ईडी की चार्जशीट: सोनिया-राहुल की बढ़ती मुश्किलें

हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड केस में बड़ा कदम उठाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस चार्जशीट में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे समेत कई अन्य कांग्रेस नेताओं के नाम शामिल हैं। 25 अप्रैल को अदालत इस चार्जशीट पर संज्ञान लेगी। इसके बाद तय होगा कि मामले में अगला कदम क्या होगा-क्या आरोप तय होंगे।

कांग्रेस ने बताई राजनीति से प्रेरित

कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है। पार्टी का दावा है कि यह केस केवल गांधी परिवार और कांग्रेस की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। बल्कि यह भारत की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों-कांग्रेस और बीजेपी-के बीच चल रहे लंबे राजनीतिक संघर्ष का एक अहम अध्याय है। यह मामला आज एक राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन चुकी हैं।

कांग्रेस का दावा, ये मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं

पार्टी ने इसे विपक्ष की आवाज को दबाने की साजिश करार दिया है. पार्टी का कहना है कि यंग इंडियन का गठन “परोपकारी उद्देश्यों” के लिए किया गया था और इसमें कोई अवैधता नहीं थी. कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में कोई धन का हस्तांतरण या संपत्ति का लेन-देन नहीं हुआ, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल ही नहीं उठता. पार्टी ने यह भी दावा किया कि AJL को दिया गया ऋण नेशनल हेराल्ड की हालत में सुधार के लिए किया गया था न कि व्यावसायिक लाभ के लिए.

 

Join WhatsApp

Join Now

---Advertisement---

Leave a Comment