जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम, जिसे धरती का स्वर्ग और मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। वहां, 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक शांत और रमणीय पर्यटन स्थल पर हुए इस कायराना हमले में 26 पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया गया। इस हमले की जिम्मेदारी कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली है। पर्यटकों के अनुसार, आतंकवादियों ने पहले पर्यटकों से उनके नाम और धर्म पूछे और फिर उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। सरकार की ओर से मारे गए पर्यटकों की सूची जारी कर दी गई, हमले में मारे गए पर्यटकों में, एक को छोड़कर बाकी सभी हिंदू हैं।
देश के कोने-कोने से आए थे सैलानी
पहलगाम में पीड़ित केवल एक राज्य से नहीं, बल्कि पूरे भारत से थे। सरकार की ओर से जारी की गई सूची में मारे गए पर्यटकों की संख्या 26 बताई गई है, उनमें एक को छोड़कर बाकी सभी हिंदू हैं। जिसमें महाराष्ट्र से 6, गुजरात से 3, कर्नाटक से 3, पश्चिम बंगाल से 2, और उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, केरल से एक-एक नागरिक शामिल हैं। इसके अलावा एक नेपाल के नागरिक और एक स्थानीय व्यक्ति की भी मौत हुई है। मारे गए पर्यटकों में भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी भी शामिल हैं, जो अरुणाचल प्रदेश के निवासी थे।

कहानियां, जो दिल दहला देती हैं
हरियाणा के विनय नरवाल, जिनकी हाल ही में शादी हुई थी, अपनी पत्नी के साथ हनीमून मनाने आए थे। उनकी पत्नी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे बताती हैं कि वे लोग बेलपूरी खा रहे थे, तभी दो हमलावर आए, नाम पूछा और गोली चला दी।

इसी तरह ओडिशा से आए प्रशांत, जो अपनी पत्नी और आठ साल के बेटे के साथ छुट्टियां मना रहे थे, भी इस हमले में मारे गए। ये कहानियाँ केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि उन परिवारों की असहनीय पीड़ा का प्रतीक हैं, जिनकी ज़िंदगी पल भर में उजड़ गई।
सरकारी मुआवजा और संवेदनाएँ
पहलगाम में जान गंवाने वालों के पीड़ित परिजन को सरकार ने 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख रुपये और अन्य घायलों को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। हालांकि, इस मुआवजे से परिवारों का दुख कम नहीं किया जा सकता। यह केवल राज्य की ओर से एक सहानुभूति की अभिव्यक्ति है।
यह हमला न केवल एक आतंकी वारदात है, बल्कि देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब, पर्यटन और इंसानियत पर सीधा हमला है। कश्मीर, जो कभी सूफियों, संतों और शायरों की धरती रही है, आज वह धरती लहूलुहान हो गई है।