पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार और समाधि स्थल को लेकर सियासत तेज हो गई है। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित कई कांग्रेस के बड़े नेता शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
सरकार पर लगा डॉ. सिंह के अपमान का आरोप
कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं ने डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किए जाने को उनके प्रति सम्मान की कमी बताया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार आज निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार द्वारा उनका सरासर अपमान किया गया है। आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की गरिमा का आदर करते हुए उनके अंतिम संस्कार अधिकृत समाधि स्थलों में किए गए ताकि हर व्यक्ति बिना किसी असुविधा के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दे पाए। डॉ. मनमोहन सिंह हमारे सर्वोच्च सम्मान और समाधि स्थल के हकदार हैं। सरकार को देश के इस महान पुत्र और उनकी गौरवशाली कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए था ।
कांग्रेस की मांग पर सरकार का जबाव
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से फ़ोन पर बात की। उन्होंने कांग्रेस की तरफ से एक पत्र भी लिखा। इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पुरज़ोर अनुरोध किया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार व स्मारक स्थापित करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा। लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने बयान जारी कर कहा कि उपयुक्त स्थलों के चुनाव के लिए वक्त लगता है, इसके लिए जमीन आवंटित की जाएगी और ट्रस्ट भी बनाना होगा। तब तक के लिए अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं निगमबोध घाट पर ही की जाएं।
क्या हैं समाधि स्थल के लिए नियम
दिल्ली में समाधि स्थल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ विशेष नियम और प्रक्रिया है। यह सम्मान सामान्यतः वैसे नेताओं को दिया जाता है, जिन्होंने राष्ट्र के लिए कुछ बड़ा योगदान दिया हो। जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री या अन्य राष्ट्रीय महत्व के व्यक्तित्व रखने वाले लोगों के लिए। राजघाट परिसर में समाधि स्थल बनाने के लिए राजघाट क्षेत्र समिति होते हैं, जो संस्कृति मंत्रालय के अधीन है। समाधि स्थल के लिए स्थान की उपलब्धता, उनका राष्ट्र के लिए योगदान और कुछ नीतियों का मूल्यांकन करती है। इस पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा ही लिया जाता है।
जहां कांग्रेस पार्टी उनके प्रति सम्मान की मांग कर रही है, वहीं केंद्र सरकार ने स्मारक निर्माण की प्रक्रिया के लिए स्थान चयन करने का आश्वासन दिया है। अब, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में इस मुद्दे का समाधान कैसे होता है। और उनके योगदान के अनुरूप केंद्र सरकार की ओर से सम्मान कैसे प्रदान किया जाता है।
कुछ प्रमुख महापुरुषों के समाधि स्थल
राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के किनारे भारत के कई महापुरुषों के समाधि स्थल हैं। ये स्थल राजघाट परिसर के आस-पास मौजूद हैं। इनके नाम हैं। महात्मा गांधी का राजघाट, जवाहरलाल नेहरु का शांतिवन, लाल बहादुर शास्त्री का विजय घाट, इंदिरा गांधी का शक्ति स्थल, संजय गांधी का शांति वन, डॉ अम्बेडकर का चैत्य भूमि, अटल बिहारी बाजपेयी का सदैव अटल हैं।