विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल एक के बाद एक नए दावे कर रहे हैं। इस बार उन्होंने पुजारियों और ग्रंथियों को चुनाव जीतने पर हर महीना 18000 रुपये सम्मान राशि देने की बात कही है। इस योजना को उन्होंने पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना नाम दिया है। इससे पहले उन्होंने महिलाओं को सम्मान राशि के तौर पर 2100 रुपये और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज देने की घोषणा की थी।
समाज, पार्टी और सरकार ने नहीं दिया ध्यान
केजरीवाल ने योजना की घोषणा करने से पहले कहा कि ये योजना उन लोगों के लिए है, जिनका समाज के प्रति बहुत बड़ा योगदान होता है, लेकिन कभी भी समाज ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। किसी भी पार्टी या सरकार ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया है। केजरीवाल ने कहा कि पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना के तहत मंदिरों में लोगों को भगवान की पूजा कराने वाले पुजारियों और गुरुद्वारों में लोगों को पूजा कराने वाले ग्रंथियों को हर महीने सम्मान राशि देने का प्रावधान है।
वेतन नहीं सम्मान राशि दी जाएगी
केजरीवाल ने कहा कि ये वो तबका है, जिसने सदियों-सदियों से हमारी परंपराओं और रीतिरिवाजों को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया है। एक तरह से जो गुरु शिष्य परंपरा है, उसे आगे बढ़ाया है। लेकिन, इसने कभी भी अपने परिवार की तरफ ध्यान नहीं दिया और हम लोगों ने भी इनकी तरह ध्यान नहीं दिया। केजरीवाल ने कहा कि इसे मैं वेतन नहीं कहूंगा। इसे सम्मान करने के तौर पर कहूंगा कि इन्हें सम्मान के तौर पर हमारी सरकार बनने पर 18000 रुपये महीना सम्मान राशि दी जाएगी।
हनुमान मंदिर के महंत ने बताया स्वागत योग्य, लेकिन…
केजरीवाल ने इसका रजिस्ट्रेशन कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर से करने की बात कही थी, लेकिन अगले दिन इस योजना का पहला रजिस्ट्रेशन आईएसबीटी में स्थित मरघट वाले बाबा के मंदिर से किया। वहीं आतिशी ने गुरुद्वारा श्री संत सुजान सिंह महाराज, करोल बाग में इस योजना के तहत पहले ग्रंथी का रजिस्ट्रेशन किया। इस योजना को कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर के महंत नवल किशोर ने इसको स्वागत योग्य बताया, लेकिन उन्होंने इस योजना को जरुरतमंद को देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हनुमान मंदिर, बंगला साहेब और बड़े मदरसे पहले से ही संपन्न हैं, इन्हें तनख्वाह देने की क्या जरुरत है।
बांसुरी स्वराज ने बताया चुनावी छलावा
पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता और दिल्ली से लोकसभा सांसद बांसुरी स्वराज ने इसे चुनावी छलावा कहा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने बीते 17 महीनों से इमामों और मौलवियों को वेतन नहीं दिया है। बांसुरी ने कहा कि एक दशक तक आपने ना पुजारियों का सम्मान किया, ना धर्मस्थलों का और ना ही ग्रंथियों का सम्मान किया है। आज जब चुनाव निकट हैं तो आप वोट बैंक की राजनीति के तहत उनका स्मरण कर रहे हैं और उन्हें झूठे वादे दिखा रहे हैं।
प्रीस्ट और पादरियों को इससे क्यों रखा बाहर
बांसुरी ने सवाल करते हुए कहा कि इसमें क्रिश्चियन समूह के पादरियों के लिए नहीं है क्या। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह केवल गिने चुने समुदायों के लिए है। आपने क्रिश्चियन पादरी और प्रीस्ट को सम्मान के दायरे से बाहर क्यों रखा है।