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पाॅपकाॅर्न और पुराने वाहनों पर लगने वाले टैक्स पर क्यों छिड़ी है बहस

Why is there a debate on tax on popcorn and old vehicles
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राजस्थान के जैसलमेर में बीते दिनों जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक हुई थी। इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। इस बैठक के कुछ निर्णय सोशल मीडिया पर चर्चा और बहस का विषय बन गए। इन बहसों का केंद्र रहा पॉपकॉर्न और पुराने वाहनों पर लगने वाला टैक्स स्लैब। फिलहाल देश में जीएसटी के चार स्लैब हैं- 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा, कुछ विशेष वस्तुओं पर अलग-अलग टैक्स दरें भी लागू होती हैं। हालांकि भारत में सात साल पहले यानी 2017 में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू किया गया था। हालांकि, इस पर आज भी लोगों के बीच में कई तरह के भ्रम और बहसबाजी देखने को मिलती हैं। इन बहसबाजियों का एक हिस्सा वस्तुओं और सेवाओं को लेकर अलग-अलग टैक्स स्लैब भी है। जैसे कि इस बार पॉपकॉर्न और पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री के मामले में सामने आया है। आइए इस मामले को विस्तार से समझते हैं।

पॉपकॉर्न पर जीएसटी

अब तक पॉपकॉर्न पर अलग-अलग स्थितियों में सामान्यतः तीन तरह के टैक्स लगते आए हैं, जो कि इस बैठक के पहले भी लग रहे थे। मगर लोगों के बीच में असमंजस और भ्रम की स्थिति होने के कारण एक नई बहस छिड़ गई कि केंद्र सरकार ने इन वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स की दर बढ़ाई है।

  1.  सादा और बिना लेबल वाले पैकेट: ऐसे पैक्ड पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लागू होता है।
  2. लेबल वाले पैकेट: अगर पैकेट पर लेबल लगा है, तो 12% जीएसटी लगेगा।
  3. कैरेमल पॉपकॉर्न (चीनी मिलाकर): इस पर 18% जीएसटी लगाया जाता है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

इससे पहले थिएटर और रेहड़ी पर बिकने वाले पॉपकॉर्न की तुलना को लेकर भ्रम था। लोग इसे लेकर तरह- तरह के दावे कर रहे थे, लेकिन इस बैठक के बाद सबकुछ स्पष्ट हो गया है। अब सिनेमाघरों में जो पाॅपकॉर्न आप खाते हैं उस पर 5%,12 %, 18% का टैक्स लगेगा। जबकि जो रेहड़ी-पटरी के पास खुले में मिलता है उस पर कोई भी टैक्स नहीं लगता है।

खुले में बिकने वाले समान पर नहीं है कोई टैक्स

खाने-पीने की ऐसी कोई भी वस्तुएं जो बिना पैकिंग के खुले में बेची जाती हैं, उस पर किसी भी तरह का कोई भी टैक्स नहीं लगता है। उदाहरण- फल, सब्जियां, बिना पैकेट का दूध, दही, खुला आटा, चावल, और दाल आदि।

ये हैं जीएसटी के चार प्रमुख स्लैब

5% स्लैब: इसमें जरूरी वस्तुएं आती हैं, जैसे- खाद्य तेल, चीनी, मसाले, चाय और कॉफी।

12% स्लैब: इसमें तैयार खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मिक्सर-ग्राइंडर, और कुछ औषधीय वस्तुएं शामिल हैं।

18% स्लैब: यह जीएसटी स्लैब सामान्य वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है। साबुन, टूथपेस्ट, पेंट, रेस्तरां में भोजन आदि।

28% स्लैब: यह स्लैब लग्जरी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है। महंगी गाड़ियां, कारें, एसी, फ्रिज, तंबाकू उत्पाद, महंगे होटलों में दी जाने वाली सेवाएं आदि।

पुराने वाहनों पर 18% टैक्स

जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में पुरानी कारों पर जीएसटी को 12% से बढ़ाकर 18% करने का प्रस्ताव रखा गया। यह टैक्स पुरानी कार खरीदकर उसे जिस मार्जिन पर बेचा जाएगा, उस पर लागू होगा। उदाहरण के लिए, अगर व्यवसायिक प्रतिष्ठान ने कोई पुरानी कार 1 लाख रुपये में खरीदी और उसे अपने प्लेटफॉर्म से 1.25 लाख रुपये में बेचती है, तो टैक्स सिर्फ 25 हजार रुपये पर ही लगेगा। वहीं, 1200 सीसी और 4 हजार मिमी तक की लंबाई वाली पुरानी कारों पर 12% जीएसटी पहले से ही था, जबकि इससे बड़ी गाड़ियों पर 18% टैक्स था। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर कोई आम आदमी पुरानी कार खरीदता या बेचता है, तो उसे किसी भी प्रकार का कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

जीएसटी से राजस्व

जीएसटी ने भारत में कई पुराने करों को खत्म कर एक समान कर प्रणाली बनाई है। भारत में हर महीने सरकार जीएसटी के जरिए करीब 1.9 लाख करोड़ रुपए का राजस्व जुटाती है।

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